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इफको नेहरू व्याख्यान: राव ने चीनी संकटों से सीख लेने को कहा

इफको ने 28वें जवाहरलाल नेहरू स्मारक व्याख्यान के लिए प्रासंगिक विषय को चुना और इसके लिए समान रूप से सक्षम व्यक्तित्व के व्यक्ति को आमंत्रित किया।

एनसीयूआई सभागार में हाल ही में व्याख्यान का आयोजन किया गया था। जहां पूरा सभागार दिग्गज सहकारी नेताओं से भरा हुआ था। मंच पर अति विशिष्ट व्यक्तियों के साथ-साथ इफको के निदेशकों समेत अन्य लोग आदित्य यादव से लेकर प्रेम चंद्र मुंशी से एनसीसीएफ के अध्यक्ष बिजेन्द्र सिंह समेत अन्य लोग मंच पर विराजमान थे।

मंच के ठीक सामने मुख्य अतिथि निरुपमा राव, पूर्व विदेश सचिव, दो पुरस्कार विजेताओं मुस्तफा सरदार और सतीश मराठे, प्रबंध निदेशक डॉ यू.एस.अवस्थी, अध्यक्ष बी.एस.नकई, उपाध्यक्ष गौड़ा और इफको के निदेशक ए.के.सिंह बैठे हुए थे।

दर्शकों में रेखा अवस्थी, सुधाकर राव, और कई अन्य अति विशिष्ट व्यक्ति राव के भाषण को बड़ी ध्यानपूर्वक सुन रहे थे।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता निरुपमा राव, पूर्व विदेश सचिव ने कहा कि हम लोगों को चीन संकटों से सीख लेनी चाहिए, आर्थिक विकास के क्षेत्र में हम उनके प्रतिद्वंदी है।

पिछले चार दशकों में चीन ने शानदार वृद्धि की है, यह भारत को उभरने के लिए एक अनूठा अवसर प्रदान करता है,राव ने कहा

चीन के परियोजनाओं के कार्यान्वयन की गति अनुकरणीय है। विनिर्माण क्षेत्र में बढ़ने के चीनी अनुभव से सीखा जा सकता है और भारत की रणनीति  बनाने के संदर्भ में यह विशेष रूप से प्रासंगिक है।

राव ने कहा कि पहले हमें सड़क, रेल, जलमार्ग, बिजली, भंडारगृह, हवाई अड्डा और दूरसंचार का व्यापक ढांचा तैयार करना होगा। चीन अपने सकल घरेलू उत्पाद 8.5 प्रतिशत बुनियादी ढ़ाचे पर खर्च करता है जबकि भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 4.7 प्रतिशत खर्च करता है।

दूसरा, जैसा कि पहले बताया गया, जीन ने चुनिंदा उद्योगों और भोगौलिक क्षेत्रों  में  उद्योगो का निर्माण कर लंबी छलांग लगाई है। चीन ने उपभोक्ता सामान जैसे वस्त्र, जूते और खिलोने तथा रीयल एस्टेट संबंधित सामग्री और भवन निर्माण सामग्री, उद्योगो से संबंधित स्टील, सीमेंट, ग्लास, निर्माण उपकरणों औऱर जहाजरानी निर्माण को चुना और पूरी तरक्की की। चीन के पूर्वी तटवर्ती क्षेत्रों ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई विशेषतया संघाई से गानडांग क्षेत्र के लोगों ने। यह ज्वलंत मामला चीन के अन्य क्षेत्रों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।

तीसरा, चीन ने विदेशी पूंजी निवेश के बंधनों को तोड़कर अनेक आर्थिक क्षेत्रों का निर्माण किया है। इससे आवश्यक लक्ष्यों और परमिटों को उदारता से दिया जाने लगा और चौथा यह कि हाई स्कूल के छात्रों ने बड़ी संख्या में नये व्यवसायिक स्कूलों में दाखिला लेकर निर्माण कौशल हासिल किया है। इसके फलस्वरूप श्रमशक्ति का 90 से 100 प्रतिशत हिस्सा चीन की फैक्ट्रियों में काम कर रहा है। विचार करने की बात यह है कि आज मेक इन इंडिया को हमें इस समय सफल बनाना है तो इस मामले में चीन के अनुभव का अनुसरण करना होगा।

इफको के निदेशक ए.के.सिंह ने सहकारी सप्ताह के महत्तव को रेखांकित किया जबकि इफको के अध्यक्ष बी.एस.नकई ने मुख्य अतिथि सुश्री निरुपमा राव सहित अतिथियों का स्वागत किया।

इस अवसर पर मुस्तफा सरदार और सतीश मराठे को निरुपमा राव ने पुरस्कार से नवाजा।

भारत और चीन के बीच संबंध को सुधारने में सुश्री राव द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना करते हुए इफको के प्रबंध निदेशक डॉ यू.एस.अवस्थी ने दर्शकों को सूचित किया कि राव एकमात्र ऐसी महिला है जिन्होंने चीन के साथ भारत के पुल का निर्माण करने में भारत की ओर से पहल की थी। हम आभारी है कि वे अमरीका से इस व्याख्यान में भाग लेने आई हैं, अवस्थी ने कहा।

इस मौके पर गौड़ा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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