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नेफकब एजीएम: रूपांतरण मुद्दे पर बहस

शहरी सहकारी बैंकों की राष्ट्रीय संस्था नेफकब ने शनिवार को नई दिल्ली स्थित एनसीयूआई मुख्यालय में अपनी 39वीं वार्षिक आम बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में शहरी सहकारी बैंकों से जुड़े कॉर्पोरेटरों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।  

बैठक में आरबीआई की हाई पावर कमैटी की सिफारिशों पर ज्यादा प्रकाश डाला गया। इस मौके पर नेफकब के अध्यक्ष डॉ मुकुंद अभ्यंकर ने कहा 100 सालों से अधिक से चल रहे सहकारी आंदोलन को कैसे हम किसी निजि हाथों में सौंप देंगे।

इससे पहले शुक्रवार को नेफकब की बोर्ड की बैठक ने आरबीआई की हाई पावर कमैटी की सिफारिशों को नकारा था। नेफकब निराश है कि ये सिफारिशों 97वां संवैधानिक संशोधन के खिलाफ है, जो किसी भी व्यक्ति को सहकारी समिति गठन करने का मौलिक अधिकार प्रदान करता है, अभ्यंकर ने कहा।

अन्य निदेशक ज्योतिंदर भाई मेहता ने इस मुद्दे पर शहरी सहकारी बैंकों से समर्थन की उम्मीद की है। उन्होंने कहा अगर सहकारी बैंकों को निजि क्षेत्र में परिवर्तित किया जाता है तो इस आंदोलन को काफी हानि होगा। सहकारी आंदोलन तब से है जब न तो निजि क्षेत्र, न सरकारी क्षेत्र और न ही आरबीआई था। उन्होंने कहा कि सरकार और आरबीआई द्वारा सहकारी आंदोलन को खत्म करने की साजिश रची जा रही है।

हम छोटे स्तर के है लेकिन अधिक संख्या में है। हम यहां व्यापार नहीं करते, केवल गरीब लोगों के जीवन में सहकारी संस्थाओं के माध्यम से कैसे बदलाव लायाAshish-Bhutani जाए उसके बारे में हमेशा सोच विचार करते रहते हैं। हम विभिन्न राज्यों में प्रेस मिट का आयोजन करके इस बिल का विरोध करेंगे, मेहता ने कहा।

मुकुंद अभ्यंकर ने सूचित किया कि शहरी सहकारी बैंकों के ऊपर से आयकर के बोझ को खत्म कराने के लिए नेफकब हर संभव प्रयास कर रहा है। अभ्यंकर ने विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियो को संबोधित करते हुए कहा कि सीबीआई ने नेफकब को जिन शहरी सहकारी बैंकों में धोखाधड़ी हुई है उनके बारें में जानकारी इकट्ठा करने का काम सौंपा है।

उन्होंने प्रतिनिधियों से कहा कि हमारे प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन सही ढंग से चल रहा है। मेरा सभी शहरी सहकारी बैंकों के पदाधिकारियों से अनुरोध है कि वे अपने बैंक में अद्यतन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करे। 

उन्होंने कहा कि चौथी पंच वर्षीय योजना के बाद से सहकारी आंदोलन को नियोजन प्रक्रिया से हटाया गया है और सहकारी क्षेत्र को किसी भी सरकार द्वारा बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है।

शहरी सहकारी बैंकों के अध्यक्ष, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों, प्रबंध निदेशकों को संबोधित करते हुए केंद्रीय पंजीयक अशीष भूटानी ने कहा कि मैं सहकारी बैंकों से जुड़े सभी मुद्दों पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेतली और आरबीआई से चर्चा करूंगा। 

इस मौके पर नेफकब के उपाध्यक्ष वी.वी.अनसकर ने कहा कि आरबीआई देश में सहकारी बैंकों की संख्या को कम करने का काम कर रही है। उन्होंने प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि अगर सहकारी आंदोलन को जीवित रखना है तो हम सबको मिलकर समस्याओं का निवारण करना होगा।  

इस मौके पर जे.एस.मेहता, ज्योतिंदर भाई मेहता, मुदित वर्मा, कंगड़ा सहकारी बैंक के अध्यक्ष और नेफकब के निदेशक लक्ष्मी दास, समेत अन्य लोगों ने शिरकत की। बैठक में करीब 300 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, अभ्यंकर ने भारतीय सहकारिता के साथ साझा किया।

नेफकब के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन नवंबर में दिल्ली में किया जाना है और उम्मीद है कि इस सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा। मोदी जब कुछ मिनटों में बिहार के लिए डेढ़ लाख करोड़ के पैकज का ऐलान कर सकते है तो सहकारी आंदोलन के लिए क्यों नहीं, अभ्यंकर ने पूछा।

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