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श्रीलाल शुक्ल की स्मृतियां एक बार फिर जीवित हो उठी

किसानों की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इफको का पांचवा श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान पुरस्कार 2015 कवि अष्टभुजा शुक्ल को रविवार को नई दिल्ली स्थित कामानी सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दिया गया।

केंद्रीय रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित थे जबकि साहित्य दुनिया के दिग्गज जैसे नामवर सिंह, गिरिराज किशोर, अजीत कुमार, मुरली मनोहर प्रसाद, दिनेश कुमार शुक्ला, नरेश सक्सेना, विश्वास तिवारी, महेश कटारे समेत अन्य लोग मौजूद थे।

अतिथियों का स्वागत करते हुए इफको के प्रबंध निदेशक डॉ यू.एस.अवस्थी ने कहा कि इफको रासायनिक उर्वरक के उत्पादन में देश में नंबर एक पर है लेकिन हम अभी भी मिट्टी और बायोफर्टीलाइजर का व्यापक उपयोग के संरक्षण में विश्वास रखते हैं।

इफको किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए देश की कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस दिशा में “आजादी की अग्रि शिखाएं” के प्रकाशन और अन्य पुस्तकों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इस पुरस्कार की स्थापना इफको बोर्ड ने 2011 में की थी।

श्री लाल शुक्ल के शब्दों का जिक्र करते हुए इफको के प्रबंध निदेशक ने कहा कि श्री शुक्ल ने ग्रामीण के साथ-साथ अर्ध शहरी क्षेत्रों के जीवन पर लिखा और प्रचलित शोषणकारी व्यवस्था पर तीखा हमला किया। टी एस मदन एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री ने राग दरबारी पुस्तक को लोगों की मानसिकता बदलने वाली पुस्तक कहा है।

इफको की भूमिका की प्रशंसा करते हुए, केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि इफको हमेशा किसानों को मदद देने में सक्रिय रहती है। मैं इफको को तब से जानता हूं जब मैं उर्वरक मंत्री था, प्रभु ने कहा।

प्रभु ने शारीरिक स्वास्थ्य और किसानों की मानसिक भालई के बीच के संबंध के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने रेखांकित किया कि कविताएं और साहित्य एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। उन्होंने अष्टभुजा शुक्ल की कविताओं की सराहना की और कहा कि वह दोनों शिक्षा और समाज की दीक्षा में व्यस्त है।

इस अवसर पर कई अन्य लोग जैसे चयन समिति के अध्यक्ष श्री गिरिराद किशोर और अष्टभुजा ने अपने विचार रखे। ऐसा पहली बार हुआ है कि एक कवि को पुरस्कार के लिए चुना गया।

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