नफेड के बोर्ड की आज बैठक हो रही है। सूत्रों के अनुसार बीजेन्दर सिंह त्यागपत्र देने वाले हैं। यह मन्जूर होगा कि नहीं केवल बोर्ड सदस्यों को मालूम है।
भारतीयसहकारिता.कॉम को प्राप्त सूचना के अनुसार नफेड और कृषी मंत्रालय के मध्य छिडे विवाद में एक बीच बचाव का रास्ता निकाला गया जिसमें बीजेन्द्र सिंह के निकाले जाने पर सहमति हो गई। नफेड बचाने के नाटक के दो किरदार थे – सी.व्ही.आनन्द बोस और बीजेन्द्र सिंह। सचिव बन जाने के कारण आनन्द पहले ही जा चुके हैं। अब बीजेन्द्र की बारी है।
एक सधे राजनीतिज्ञ होने के कारण बीजेन्द्र ने अपने पत्ते बखूबी खेले हैं। उन्होंने अपना त्यागपत्र मंत्रालय को दिया जिसने इसे बोर्ड के समक्ष देने को कहा। नफेद बोर्ड में बीजेन्द्र के करीबी सदस्य हैं जो उन्हें आभारी नहीं बनाएंगे। इस तरह त्यागपत्र का प्रस्ताव मंत्रालय के लिए कोई माएने नहीं होगा।
पाठकों को मालूम होगा कि गठबन्धन से हुए नुकसान के कारण कृषि मंत्रालय को सी.व्ही.आनन्द बोस को नफेड में गडबडी दूर करने के लिए एम.डी. के रूप भेजना पडा। कुछ महींनों बाद वे अलोकप्रिय हो गये और बोर्ड के सदस्यों ने उन्हें कृषि मंत्रालय के विरोध के बावजूद भी मनमानें ढंग से हटा दिया।
नफेड ने २५ जनवरी को वित्त जुटाने के लिए एक आम सभा की थी जिसमें इसके उप-नियमों में संशोधन किया गया जिससे कि अंश पूंजी आधार को बल मिले और इसे पूंजी निबंधक ने निबंधित कर लिया। नफेड ने अपने सदस्य संस्थाओं से अतिरिक्त पूंजी रकम भेजने का निवेदन किया लेकिन इसे एक डूबता हुआ जहाज समझ कर किसी ने कुछ नहीं दिया।
बहुराज्यीय सहयोग समिति अधिनियम, २००२ के अनुसार सदस्य अपने अधिकारों का प्रयोग तभी कर सकते हैं यदि जब देय भुगतान कर दिया गया हो। अब यह केन्द्रीय निबन्धक के ऊपर है कि वे सच्चाई का पता लगावें और देश के कानून को लागू करें। सभी मतदाताओं को क्या मतदान का अधिकार है? ….