सूरत के तीन सहकारी बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की निगरानी में हैं क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पिछले एक सप्ताह से एक विशेष अंकेक्षण कराया जा रहा है.
इन बैंकों ने कहा है कि उन्होंने निर्धारित सीमा से अधिक ऋण की पेशकश की है जिसके चलते वित्तीय निकाय ने कार्रवाई शुरू कर दी है.
जिला सहकारी विभाग ने रिजर्व बैंक की कार्रवाई की पुष्टि की है.
सूत्रों के मुताबिक, तीन बैंक, जहां विशेष लेखा परीक्षा चल रही है, शहर में पिछले कई वर्षों से कार्य कर रहे हैं और सबसे अच्छे नामों में से एक हैं.
जबकि दो बैंकों के नामों की अभी तक पुष्टि नहीं हुई हैं, तीसरे बैंक का नाम उधना नागरिक सहकारी बैंक है जो उधना में स्थित है. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ऋण के वितरण में नियमों का उल्लंघन पाए जाने के बाद लेखा परीक्षा की गई है.
इस तरीके से लगातार ऋण वितरण के कारण, इन बैंकों की तरलता की स्थिति नीचे चली गई जिसके परिणामस्वरूप एक वित्तीय संकट पैदा हो गया है.
उधना नागरिक बैंक के निवेश विभाग में रिजर्व बैंक को भारी वित्तीय गडबडी का पता लगा है, जहां सरकारी अभिकर्ता की जगह एक दलाल के माध्यम से निवेश किया गया है.
सूत्रों ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक नें मास्टर परिपत्र का उल्लंघन और स्वीकृत कोड का अनुपालन नहीं करने के लिए बैंक को अतीत में नोटिस जारी किए थे. बैंक अधिकारियों ने नोटिस मिलने के बाद ही कुछ खुलासे किए, सूत्रों ने कहा.
“31 मार्च, 2009 तक बैंक की कुल गैर निष्पादक आस्तिया (एनपीए) 49 प्रतिशत थीं, जबकि बैंक द्वारा घोषित 84.7 प्रतिशत सीडी अनुपात भी गलत और भ्रामक है. बैंक ने अपनी कुल संपत्ति के 70 प्रतिशत से अधिक का ऋण दिया है, जो फिर से भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के उल्लंघन है. हमारी जांच के अनुसार, बैंक ने अपनी कुल आस्तियों के 85 से 90 प्रतिशत को ऋण रूप में दिखाया है. ” कमलेश पटेल, पंजीयक, जिला सहकारी विभाग (सूरत), ने कहा.
उन्होंने कहा कि बैंक ने 43 खातों से सिर्फ 2.39 करोड़ रुपये वसूल किए जो अतीत में ऋण के रूप में दिए गए थे. हालांकि, बैंक अधिकारी बैंक के परिचालनों में कोई अनियमितता को नकार रहे हैं और बता रहे हैं कि सब कुछ निर्दिष्ट नियमों के अनुसार चल रहा है.
“रिजर्व बैंक की विशेष लेखा परीक्षा में दोषी पाये जाने पर हम किसी भी तरह की कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार हैं,” सेतु माधवन, बैंक के अध्यक्ष ने कहा.