किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि श्री भटोल इतना भाग्यशाली होंगे, शायद भटोल ने खुद भी नहीं. २१ अगस्त की बैठक सीएमएमएफ के 10 सदस्यों द्वारा भटोल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी जो चल न सकी. और यह असंतुष्ट नेता श्री विपुल चौधरी के लिए इस कदर असफल रही कि वह वहां से जल्द ही चले गए.
जैसे ही बोर्ड की बैठक नियत समय पर शुरू हुई, श्री विपुल चौधरी ने श्री भटोल के बैठक की अध्यक्षता करने पर आपत्ति की क्योंकि श्री भटोल ने बोर्ड का विश्वास खो दिया है. क्रोधित भटोल ने करारा जवाब दिया और आगे की कार्रवाई का संचालन किया.
पंचमहल स्थित पंचामृत डेयरी के अध्यक्ष और भाजपा विधायक जेठा भारवाड नें आमने-सामने की लडाई में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि वह भटोल का साथ देंगे. जल्द ही अन्य निदेशकों नें भी भटोल के पक्ष में समर्थन देते हुए श्री जेठा का साथ दिया.
कोई नहीं जानता, यह कैसे हुआ. हो सकता है इसमें गांधी नगर की कोई भूमिका हो या भटोल की स्वच्छ छवि ने असंतुष्टों का हृदय परिवर्तन कर दिया हो. इस तरह श्री विपुल चौधरी अध्यक्ष बनने के अपने तीसरे प्रयास में असफल रहे.
चौधरी की नजर देश की सबसे बड़ी डेयरी सहकारी के अध्यक्ष पद पर तब से है जब डॉ. कुरियन ने पद से इस्तीफा दिया.
रमनीश परमार, श्री विपुल के विश्वसनीय मित्र, ने मीडिया को बताया कि अविश्वास प्रस्ताव को किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए हटा दिया गया.