नेफेड की 25 सितम्बर की वार्षिक आम बैठक तूफानी साबित हुई. एक दिन पहले शुक्रवार को सरकार ने कृषि उपज की खरीद पर नेफेड के एकाधिकार को समाप्त करने की घोषणा की थी. कृषि उत्पाद पर नेफेड की पकड़ कमजोर करने के लिए दो नए खिलाडी- एनसीसीएफ और सीडब्ल्यूसी- सरकार की सूची में शामिल हो गए.
सरकार के कदम से नाखुश नेफेड की एजीएम ने अपना ध्यान एनसीसीएफ को दी गई भूमिका पर केन्द्रित रखा. नेताओं ने कहा कि सहकारी समितियों के बीच प्रतियोगिता नहीं हो सकती क्योंकि सहकारिता बुरे दौर से गुजर रही है.
उन्होंने बैठक में उपस्थिति एनसीसीएफ के अध्यक्ष बीरेंद्र सिंह की ओर इशारा किया. सौभाग्य से विशाल सिंह, एनसीसीएफ के उपाध्यक्ष, भी मौजूद थे. नेफेड के नेताओं ने कहा कि एजीएम में एनसीसीएफ का लगभग पूरा बोर्ड मौजूद था और वे इस मुद्दे पर उन लोगों से सुनना चाहते थे.
सूत्रों के अनुसार, बीरेंद्र सिंह बुरी तरह घिर गए थे. जिस प्रस्ताव को प्राप्त करने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी उसे कैसे इनकार कर सकते हैं? नामांकन पाने के लिए उन्होंने सरकार को आवेदन दिया था और अब ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जहाँ सहकारिता एकता के नाम पर उन्हें नामांकन छोडने के लिए कहा जा रहा है.
स्थिति को अपने पक्ष मे करते हुए, उन्होंने कहा कि एनसीसीएफ नेफेड के साथ प्रतिस्पर्धा में नहीं है. नेफेड बोर्ड और एनसीसीएफ बोर्ड के बीच वैचारिक मतभेद नहीं है. लेकिन हम ऐसे क्षेत्रों में व्यापार करेंगे जहां नेफेड पारंपरिक रूप से सक्रिय नहीं रहा है, जैसे- पूर्वोत्तर राज्य, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश.
न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिया गया है और किसानों के बीच अधिक से अधिक उत्पादन के लिए एक बड़ी प्रतियोगिता चल रही है. वहाँ प्रत्येक एजेंसी के लिए काम की गुंजाइश है, बीरेंद्र सिंह ने कहा.
भारतीयसहकारिता.कॉम को पता चला है कि एनसीसीएफ के अध्यक्ष को सरकारी प्रस्ताव को ठुकराने का संकेत भेजा गया था. कहा जाता है की श्री बीरेंद्र सिंह ने दबाव में काम करने से दृढ़ता से इनकार कर दिया है.
उपभोक्ता सहकारिता के कृषि उत्पाद के क्षेत्र मे घुसपैठ के आरोप के जवाब में श्री बीरेंद्र सिंह ने भारतीयसहकारिता.कॉम को बताया कि नैफेड, एक कृषि सहकारिता, भी उपभोक्ता सामग्री के विभिन्न मदों वाले किट बेच रहा था. उन्होंने आगे पूछा कि कैसे नैफेड के स्टालों को राष्ट्रमंडल खेलों के विभिन्न स्थानों पर अनुमति दी जा रही है जबकि यह भी एक कृषि सहकारी संस्था है?