महाराष्ट्र राज्य ने सहकारी समिति अधिनियम में संशोधन किया है जो नए साल से प्रभावी हो जाएगा . उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक मौजूदा अधिनियम मे एक सलाहकार समिति का गठन करने का प्रावधान किया गया है. यह सलाहकार समिति सदस्यों की समस्याओं को हल करने की कोशिश करेंगी जिन्हें हर छोटे या बड़े मुद्दे के लिए रजिस्ट्रार के पास जाना पडता है.
हाउसिंग समितियां इस बात के लिए कुख्यात हैं कि प्रबंधन मफिया का एक समूह उनपर नियंत्रण कर लेता है और मनमाने उप नियम बनाकर सदस्यों को परेशान करता है. रजिस्ट्रार के पास जब तब दौडते रहना सदस्यों के लिए व्यावहारिक नहीं है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार सलाहकार समिति की अवधारणा ले कर आई है जिससे सदस्यों की रोज-रोज की समस्यायों को सुलझाने में ममद मिलेगी.
इस सलाहकार समिति में तीन सदस्य होंगे – एक सदस्य प्रबंध समिति से, दूसरा सदस्य एक महिला होगी तीसरा सदस्य फ्लैट मालिकों में से एक होगा. समिति शिकायतों पर विचार करेगी और समाधान खोजने की कोशिश करेगी.
अन्य संशोधन अर्थ दंड से संबंधित हैं जो अब एक हजार रुपये से अधिक नहीं होगा. यदि कार्यालय के पद के लिए कोई महिला उम्मिद्वार नहीं मिलती तो ऐसे पद को पुरुष उम्मिद्वार से भरा जा सकता है. अब समितियां किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक में खाता खोल सकती हैं.