केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने सहकारी क्षेत्र से सरकार का नियंत्रण वापस लेने का समर्थन किया. उनका विचार है कि इस क्षेत्र को भी मुक्त अर्थव्यवस्था में और अधिक शक्ति प्रदान की जाय.
“हम सहकारी क्षेत्र से सरकार के नियंत्रण को वापस लेना चाहते हैं और एक अलग आम सभा के सदस्यों को अधिक नियंत्रण देना चाहते हैं. लेकिन मैं संसद में अपने सहयोगियों को यह समझाने में सफल नहीं हो सका कि इस इच्छा को प्राथमिकता दी जाय”, श्री पवार ने कहा. वह अहमदाबाद में शहरी सहकारी बैंकों के लिए कोर बैंकिंग सोलूशन के राष्ट्रीय शुभारम्भ कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे.
“इस संबंध में संवैधानिक संशोधन विधेयक पिछले चार वर्षों से संसद में लंबित है”, पवार ने कहा. उन्होंने आगे कहा कि इसके पीछे यह विचार है कि सहकारी समितियों के भाग्य का फैसला मंत्रालय (सचिवालय) में बैठे लोगों के बजाय आम सभ करे.
“एक तरफ हम अर्थव्यवस्था को मुक्त करने की कोशिश कर रहे हैं और दूसरी तरफ हम सहकारी क्षेत्र पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहे हैं, यह उचित नहीं है. ”
पवार के अनुसार, सहकारी बैंक का, जिनकी 6800 शाखाएं हैं, देश के वित्तीय क्षेत्र में 4 प्रतिशत हिस्सा है. चुंकि वे (शहरी सहकारी बैंक) आम आदमी के सम्पर्क में रहते हैं, वे अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. उन्होंने हाल ही में गुजरात में मधुपुरा मर्केंटाइल सहकारी बैंक मे हुए करोड़ों रुपये के घोटाले को, जो कुछ ही साल पहले प्रकाश मे आए थे, सहकारी क्षेत्र पर एक “काला टीका” का नाम दिया.
“यह भारतीय रिजर्व बैंक की जिम्मेदारी है कि वह जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करे,” मंत्री ने कहा.
साभार – पी.टी.आई.