प्रमुख उर्वरक उत्पादक इफको ने वर्ष 2010 के नवम्बर तक के शुद्ध लाभ की घोषणा की है जो रु.1000.०० है. इफको, जिसे कई पुरस्कार मिले हैं और जिसने कई क्षेत्रों में सफलता हासिल की है, ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सच्ची सहकरिता की अवधारणा में बहुत शक्ति है.
बहुरज्यीय सहकारी – इफको में 40,000 सदस्यों का नेटवर्क है और इसकी प्रबंधन टीम सतत सुधार के लिए उत्सुक रहती हैं. इसने उर्वरक उत्पादन की क्षमता में वृद्धि और ऊर्जा की खपत में कमी की है. दिसंबर 2010 तक इसने 93 लाख टन उर्वरक बेचा और 65 लाख टन से अधिक का उत्पादन किया है.
इफको ने फूलपुर इकाई में नाप्था की जगह एल.एन.जी. का प्रयोग करना शुरु किया जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आई और इसके लिए इसकी प्रशंसा हुई.
भारतीयसहकारिता.कॉम से बातचीत करते हुए इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि वर्ष 2011 में इफको में अन्य कई योजनाएं आकार लेने वाली हैं. इसने पहले से ही दुनिया की प्रसिद्ध डेयरी कंपनी FONTERA के साथ देश में उच्च गुणवत्ता वाले दूध के उत्पादन और वितरण का करार किया है. डा अवस्थी ने बताया कि कलोल संयंत्र के व्यापक विस्तार की योजना है और कलोल एवं फूलपुर में ऊर्जा की बचत की शुरुआत होगी.
नया साल के अवसर पर योजनाओं के बारे में विस्तार से बताते हुए डा अवस्थी ने कहा कि कांडला में पानी में घुलनशील उर्वरक और जिंक सल्फेट संयंत्र का कमीशन अन्य क्षेत्र हैं जिस पर ध्यान दिया जाएगा. मृदा संरंक्षण अभियान एक अन्य अवधारणा है जो डॉ.अवस्थी के दिल के करीब है और वह बड़े पैमाने पर इस पर ध्यान केंद्रित करना चाहते है.
इस बीच इफको अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर चर्चित हो गया है क्योंकि ओबामा ने इफको की किसान-संचार अवधारणा की प्रशंसा की है और चाहा कि अन्य देश भी इसका अनुकरण करें. सूत्रों के अनुसार इसे सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर दिए जाने वाले प्रतिष्ठित आइ.एफ.ए. पुरस्कार के लिए भी चुना गया है.
इफको द्वारा हासिल उच्च प्रतिष्ठा इसकी कड़ी मेहनत का परिणाम है क्योंकि इसने पारादीप इकाई और आईसीएस सेनेगल को सफलतापूर्वक पुनर्जीवित किया. अब इसने जॉर्डन इंडिया उर्वरक कंपनी लिमिटेड का निर्माण शुरू कर दिया है.