सुरक्षा चाहे जितनी हो, धोखेबाज अपना रास्ता खोज ही लेते हैं. हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के दो कर्मचारी – एक क्लर्क और एक कंप्यूटर चालक – ने मिलकर नाजायज ढंग से १४ लाख रुपए निकाल लिए.
अहमदाबाद में अभी हाल में ही सम्पन्न हुए कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री की उपस्थिति में शहरी सहकारी बैंकों को कंप्यूटरीकृत करने के प्रयास की शुरुआत की गई. “एटीएम” और “इंटरनेट बैंकिंग” – सुनने में सब बहुत अच्छा लगता है लेकिन तकनीकी जानकारी वाले धुर्त और धोखेबाज धोखाधड़ी के लिए इनका भी लाभ उठा लेते हैं.
हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के मामले में कंप्यूटर चालक ने एक निष्क्रिय खाते का पता लगा लिया और एक लिपिक के साथ मिलकर अन्य खातों से पैसा उसमें स्थानांतरित कर दिया. उन्होंने पैसे निकालने के लिए एक नकली एटीएम कार्ड भी हासिल कर लिया.
लेखा परीक्षा की पारंपरिक प्रणाली द्वारा यह धोखाधड़ी पकड़ी गई. वास्तव में कंप्यूटरीकरण का स्वागत किया गया है लेकिन हमें एक ऐसी सुरक्षित प्रणाली की जरूरत है जिससे इस तरह की धोखाधड़ी को हतोत्साहित किया जा सके.