श्री एम.एस. तलवार, भूतपूर्व निदेशक सहकारिता को मत्स्य सहकारी समितियों के शीर्ष संगठन FISHCOFED के बोर्ड के चुनाव के लिए निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया गया है जिसके चलते उनकी व्यस्तता बढ़ गई है. चुनाव 17 जनवरी के लिए निर्धारित है जिसके चलते चहल-पहल एवं अन्य गतिविधियां अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई हैं.
यद्यपि यह संगठन छह क्षेत्रों में विभाजित है लेकिन पांच क्षेत्र विषेश रूप से सक्रिय हैं, वे हैं -पूर्व, पश्चिम, दक्षिण, मध्य और उत्तर-पूर्व. उत्तरी क्षेत्र में नाम मात्र की गतिविधियां हैं. अतः वह लगभग निष्क्रिय है. प्रत्येक क्षेत्र से दो निदेशकों को निर्वाचित किया जाना है. अध्यक्ष का निर्वाचन उसी दिन अपराह्न में कर दिया जाएगा.
इफको या कृभको जैसी विशाल सहकारी समितियों के समक्ष Fishcofed की स्थिति काफी दयनीय जैसी है. लेकिन इस बार वहां चुनाव में नए सिरे से रुचि जाग्रित हो गई है, क्योंकि इसकी स्थिति काफी सुधर गई है.
कुछ लोगों ने अंतिम समय मे मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए झगड़े किए. नागपुर अदालत में याचिका भी दायर की गई ताकि चुनाव स्थगित कर दिया जाय. लेकिन अदालत ने आवेदन को अस्वीकार कर दिया और फैसला सुनाया कि बोर्ड का चुनाव समय पर ही होगा.
मौजूदा अध्यक्ष नईम अंसारी फिर से निर्वाचित हो जाएंगे या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है. फिलहाल उनके फिर से चुने जाने की आशा क्षीण नजर आ रही है. बोर्ड में तीन नामित सदस्य होंगे जो श्री अंसारी का समर्थन कर सकते हैं. लेकिन वहाँ दस निर्वाचित सदस्य भी होंगे जो अंसारी जैसे थोपे गए सरकारी उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर सकते.
अंसारी शरद पवार की पार्टी से संबंध रखते हैं और सरकार के नामित निदेशकों के समर्थन के प्रति आश्वस्त हो सकते हैं लेकिन दस निर्वाचित सदस्यों के बारे में आशंका बनी रह सकती है यदि उनका समर्थन लेना सुनिश्चित करने के लिए पहले से ही प्रयास न किया जा सके. इस चुनाव मे 37 मतदाता हैं जिनमे से अधिकांश मतदान में भाग लेंगे.
पाठकों को पता होगा कि आंध्र प्रदेश के श्री के. कृष्ण (तत्कालीन अध्यक्ष) के निधन के समय श्री नईम अंसारी उपाध्यक्ष थे. तब अंसारी अनायाश ही अध्यक्ष बन गए थे. लेकिन क्या वह फिर से भाग्यशाली साबित हो सकते हैं?