भारतीय आर्थिक परिदृश्य में जीवन के सभी क्षेत्रों से संबंधित व्यावसायिक गतिविधियों में वृद्धि को देखा जा सकता है. हमारे वित्तीय संस्थान क्या कदम से कदम मिला कर चलने में सक्षम हैं? व्यापार जगत के नेता चारो ओर से यह प्रश्न पूछ रहे हैं.
हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने नए सहकारी बैंकों को लाइसेंस देने के लिए एक नई लाइसेंस प्रदायी समिति का गठन किया है, लेकिन इस प्रक्रिया मे लंबा समय लग सकता है. बजट सत्र में बैंकों को लाइसेंस देने के संबंध में कुछ सरल प्रक्रिया अपनाने पर फैसला हो सकता है.
इसी बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि नए लाइसेंस की जरूरत है क्योंकि आबादी के एक बड़े समूह, खासकर पिछड़े लोग, अब भी बैंकिंग सेवाओं की पहुँच से बाहर हैं.
वर्तमान में, भारत में 27 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, 7 नए निजी क्षेत्र के बैंक, 15 पुराने निजी क्षेत्र के बैंक, 31 विदेशी बैंक, 86 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, चार स्थानीय बैंक, 1721 शहरी सहकारी बैंक, 31 राज्य सहकारी बैंक और 371 केंद्रीय जिला सहकारी बैंक हैं.
2003 में कोटक महिंद्रा बैंकऔर 2004 में यस बैंक को लाइसेंस दिया गया था. उसके बाद किसी निजी या विदेशी बैंक को अनुमति नहीं दी गई है.
औद्योगिक घरानों पर जो शर्तें लगाए जाने पर विचार हो रहा है, उनमें हैं – विविध और पारदर्शी हिस्सेदारी संरचना, वित्तीय क्षेत्र में कम से कम 10 साल की मौजूदगी, सार्वजनिक जमा और मौजूदा खुदरा ग्राहक आधार के साथ काम का ट्रैक रिकॉर्ड.
इसके अलावा, औद्योगिक घरानों को अन्य व्यवसायों से जुड़े बैंकिंग परिचालन की सुरक्षा संबंधी अन्य सावधानियां वरतने के लिए भी कहा जा सकता है.
भारतीय रिजर्व बैंक पहले पांच वर्षों के लिए दोहरे लाइसेंस रेजिम का हिस्स के रूप में केवल खुदरा बैंकिंग लाइसेंस या लघु बैंक लाइसेंस देने पर विचार कर रहा है.
साथ ही, भारतीय रिजर्व बैंक अपने विभिन्न दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने पर सख्त दंड भी लगा सकता है.