सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत सूचना देने में 81 दिन की देरी के एक मामले में गोवा राज्य सूचना आयोग ने सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार और इसके जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) के कार्यालय को दंड के रूप में सरकारी खजाने में 8,000 रूपये जमा करने का निर्देश दिया है.
आयोग ने आवेदक के लिए 2000 रूपये के मुआवजे का भी आदेश दिया है.
राज्य मुख्य सूचना आयुक्त श्री एम.एस. केनी ने यह आदेश पणजी के रूई फरेरा द्वारा दायर आवेदन पर दिया है. फरेरा ने बताया कि जन सूचना अधिकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा प्रस्तुत की गई गोवा शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड की 17वीं निरीक्षण रिपोर्ट की प्रति प्रदान करने में विफल रहा जिसके लिए आयोग ने 14 जून 2010 को निर्देश भी दिया था.
आयोग ने सूचना 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत करने का आदेश दिया था. फरेरा ने कहा कि जानकारी प्रस्तुत करने में 81 दिन की देरी हुई थी जिसके लिए उसने जन सूचना अधिकारी के खिलाफ 20,000 रुपए के दंड की मांग की थी क्योंकि उसने आदेश का पालन नहीं किया था.
सुनवाई के दौरान, डी एस मोराजकर-पीआईओ ने सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार की तरफ से कहा कि 17 वीं निरीक्षण रिपोर्ट मिल नहीं सकी क्योंकि रजिस्ट्रार कार्यालय दो बार स्थानांतरित हुआ था. मोराजकर ने बताया कि रिपोर्ट का पता लगाने के लिए एक समिति का भी गठन किया गया था. उन्होंने आगे बताया कि आयोग के आदेश का पालन करने में कोई जान बूझकर देर नहीं हुई.
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट अंततः रिजर्व बैंक से प्राप्त किया गया और इसलिए आवेदक को प्रस्तुत करने में विलंब हो गया.
मोराजकर के जवाब पर विचार करते हुए कि शिफ्टिंग के दौरान रिकार्ड के खो जाने की संभावना हो सकती है, आयोग ने कहा: “इसका मतलब कि अकेले पीआईओ को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, बल्कि पूरा कार्यालय (सहकारी समितियों ‘के रजिस्ट्रार) जिम्मेदार है “.