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इफको-Tokio किसानों की आत्महत्या रोक सकती हैः श्री नारायणन

किसी भी बीमा कंपनी के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवेश करना आसान नहीं है. ग्रामीण लोगों के लिए बीमाकृत होना आम तौर पर बहुत मायने नहीं रखता और दूसरी बात यह है कि उनसे किस्तें प्राप्त करना भी काफी मुश्किल है. लेकिन इफको-टोकियो नामक गैर जीवन-बीमा कंपनी ने सहकारी समितियों की मदद से यह असंभव उपलब्धि हासिल की है और पिछले दस वर्षों में इसमें तेज गति से वृद्धि हुई है.

भारतीयसह्कारिता.कॉम से बात करते हुए इफको-टोकियो के प्रबंध निदेशक श्री एस नारायणन ने कहा कि निचले स्तर पर काम करने में दिक्कतें आम हैं क्योंकि धोखाधड़ी का पता लगाना मुश्किल होता है. लेकिन सहकारी समितियों की मदद से हम सफल हो सकते हैं. इरडा के अनुसार, सहकारी समितियां हमारे एजेंट नहीं हो सकतीं लेकिन इसके सदस्य हो सकते हैं, श्री नारायणन ने कहा.

इफको का विशाल नेटवर्क है जिसकी सदस्य 40,000 समितियां हैं.  इस स्थिति का फायदा उठाते हुए इफको-टोकियो ने बीमा योजना की एक श्रृंखला शुरू की है जिसमें अति गरीब लोगों का ध्यान रखा जाएगा.

किसानों की आत्महत्या अतीत की बात हो सकती है अगर बीमा कंपनी सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में अपने काम का विस्तार करे. प्रबंध निदेशक श्री एस नारायणन का दावा है कि इफको-टोकियो किसानों की आत्महत्या पर रोक लगाने में मदद कर सकती है और किसानों को उधारदाताओं के चंगुल से छुटकारा दिला सकती है.

इसकी “संकट हरन बीमा योजना” व्यक्तिगत दुर्घटना के प्रति सुरक्षा प्रदान करती है जो इफको से उर्वरकों की खरीद से जुड़ी होगी.  इस योजना में एक थैली की खरीद पर 4000 रुपए का कवरेज मिलेगा जो अधिकतम २५ थैली और एक लाख रुपए तक हो सकता है. प्रक्रिया को सरल रखने के लिए, बिक्री-रसीद को ही पॉलीसी-दस्तावेज के रूप में मान्यता दी गई है और दावों के निपटारे के लिए उसे ही पेश किया जा सकता है.

इफको-टोकियो के पास “किसान सुविधा पॉलिसी” नामक एक अन्य अच्छी योजना है जिसमें घर के सामानों का आग या बाढ़ के खिलाफ बीमा किया जाता है. कंपनी के पास पशु बीमा योजना भी है.

श्री नारायणन ने कहा कि इफको के नेटवर्क से भाषा एवं अन्य समस्यायों पर काबू पाने में काफी मदद मिली है.

भारतीय नियामक (आईआरडीए) का कहना है कि कारोबार का कम से कम 7 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाना है. इफको-टोकियो ने ग्रामीण क्षेत्रों में 12 प्रतिशत तक के कारोबार का विस्तार किया है जिसके लिए सहकारी समितियां धन्यवाद की पात्र हैं, नारायणन कहते हैं.

2001 में इस कंपनी को प्रीमियम के रूप में 72 करोड़ रुपए मिले जो वर्ष 2011 में 1750 करोड़ रुपए हो गया.

भारत में गैर जीवन बीमा (अर्थात साधारण बीमा) क्षेत्र में काम करने वाली 21 कंपनियां है जिसमें इफको-टोकियो का तीसरा स्थान है. श्री एस नारायणन का कहना है कि प्रथम स्थान प्राप्त करने की अपेक्षा कंपनी लोगों की नजर में सबसे ऊपर रहना चाहती है.

आज इफको-Tokio के अलावा अन्य कोई बीमा कंपनी नहीं है जिसे किसी भी वर्ष में नुकसान या नकारात्मक वृद्धि का सामना न करना पड़ा हो. साधरण बीमा का बाजार बहुत बड़ा है और इफको-Tokio ने पिछले साल 21% की वृद्धि हासिल की है.

प्रबंध निदेशक का लक्ष्य है कि यह कंपनी लोगों के दिलों को छू ले और वह सहकारी समितियों और उनकी साख के बल-बूते इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे.

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