लगभग एक सौ सहकारी समितियां इला भट्ट के स्वप्न को साकार करने में जुटी हैं. हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने उनके “जीवन और काम” के लिए उन्हें सम्मानित करने के लिए चयनित किया है. उनके काम से समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है.
77 वर्षीय भट्ट के गैर सरकारी संगठन “SEWA” (Self-Employed Women’s Association of India) ने भारत में लाखों महिलाओं और उनके परिवारों के लिए अवसर उपलब्ध कराने में मदद की है. उन्हें 27 मई को हार्वर्ड विश्वविद्यालय के रेडक्लिफ इंस्टिट्यूट द्वारा “रैडक्लिफ संस्थान पदक” से सम्मानित किया जाएगा.
इला भट्ट ने 1972 में SEWA नामक एन.जी.ओ. की स्थापना की जिसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए हैं. यह एन.जी.ओ. लघु ऋण देने, स्वास्थ्य और जीवन बीमा और बच्चों की देखभाल के कामों में संलग्न है. SEWA सौ से अधिक सहकारी समितियों की देखरेख में चलती है जिन्हें महिलाएं संचालित करती है. जनवरी 2010 में, SEWA की सदस्य-संख्या 12 लाख तक पहुंच गई थी.
इला रमेश भट्ट पेशे से एक वकील हैं. वे अंतरराष्ट्रीय श्रम, सहकारिता, महिलाओं और लघु-वित्त आंदोलनों की एक सम्मानित नेता हैं जिन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है.
इला भट्ट को भारत सरकार द्वारा 1985 में “पद्म श्री” तथा 1986 में “पद्म भूषण” नामक नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया. उन्हें 1977 में रेमन मैगसेसे पुरस्कार और 1984 में राइट लाइवलीहुड पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
उन्हें भारत में गरीब महिलाओं के उत्थान में योगदान के लिए 2010 के “निवानो शांति पुरस्कार” के लिए चुना गया है.