पक कुमार द्वारा 19 मार्च 2011 पर पोस्ट
कर्नाटक के मंत्री और पूर्व मंत्री सहकारिता की भावना के सभी आदर्शों को भूल कर ‘कर्नाटक दुग्ध महासंघ’ (KMF) की कीमत पर झगड़ रहे हैं.
बुधवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) की लेखा परीक्षा रिपोर्टों से संबंधित मामले में मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को नोटिस जारी किया.
कर्नाटक के पूर्व मंत्री और हसन दुग्ध सहकारी सोसायटी (एच.एम.सी.एस.) के अध्यक्ष श्री एच.डी. रेवन्ना ने KMF के अन्य पूर्व निदेशकों के साथ मिलकर चार याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने उनके खिलाफ ऑडिट रिपोर्ट को निरस्त करने की प्रार्थना की थी.
दो याचिकाओं में लेखा परीक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ श्री येदुरप्पा भी प्रतिवादी बनाए गए हैं. रेवन्ना का दावा था कि पूरी कवायद राजनीति से प्रेरित है, और आरोप लगाया कि सरकार यह सब एक गुप्त उद्देश्य के साथ कर रही है.
उन्होंने आगे दावा किया था कि ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने से पहले उनको आरोपों का उत्तर देने का अवसर नहीं दिया गया.
याचिकाओं की प्रारंभिक सुनवाई माननीय न्यायाधीश श्री एस अब्दुल नजीर ने की, जिन्होंने श्री येदियुरप्पा को नोटिस जारी किया. याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि विपक्ष जनता पार्टी (एस) दल के एक नेता के रूप में रेवन्ना ने सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर कई मुद्दों पर हमला किया था. सहकारी लेखा परीक्षा के निदेशक और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार केवल राजनीतिक बदले की भावना के साथ रेवन्ना और अन्य के खिलाफ गलतियां ढूंढ रहे हैं जिनका अस्तित्व ही नहीं है.