ढाई दशक तक बाजार के उतार-चढ़ाव को झेलते हुए, कैम्पको, एक सहकारी जो सुपारी और cocao उत्पाद का विपणन करती है, अचानक ही मुसीबत में घिरी लगती है.
उच्चतम न्यायालय और उसके बाद केंद्र सरकार के गुटखा पाउच पैकिंग के लिए प्लास्टिक पर प्रतिबंध के निर्णय ने सहकारी समितियों को जड़ तक हिलाकर रख दिया है. सुपारी सहकारिता पाउच के लिए कच्चे माल का उत्पादन करती.
भारतीयसहकारिता.कॉम से बात करते हुए, Campco के अध्यक्ष श्री कोनकोडी पद्मनाभ ने कहा, – “हम सुपारी उत्पादकों को बचाने के लिए जनमत जुटा रहे हैं, जो ज्यादातर कर्नाटक, केरल और असम राज्यों में फैले हुए हैं”.
सरकार पर राजनीतिक दबाव डालने के लिए लगभग 30 सांसदों की एक बैठक हुई है. पार्टी लाइन से हटकर राजनीतिक नेता ‘सुपारी उत्पादक बचाओ” आंदोलन में शामिल हो गए, – पद्मनाभ ने कहा.
बात शून्य काल के दौरान संसद में 3-4 सांसदों द्वारा भी उठाई गई. 15 सहकारी समितियों के गठबंधन ने भी समीक्षा के लिये अदालत में अपील की है जिसपर 13 अप्रैल को सुनवाई होनी है. अध्यक्ष ने बड़ी आशा से भारतीयसहकारिता.कॉम से कहा.
श्री पद्मनाभ ने कहा वे एक प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मिलने दिल्ली जा रहे हैं. वहां वे जयराम रमेश और वीरप्पा मोइली से मिलकर मामले की गंभीरता को बताएंगे.
अगर सरकार सहकारी समितियों को बचाने के लिए हस्तक्षेप नहीं करती तो यह वास्तव में दुःख की बात हो सकती है क्योंकि Campco भारत में कुछ ऐसी सहकारी समितियों में से एक है जो आशा जगाती है कि सहकारी आंदोलन अभी तक एक असफल विचार नहीं है.