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सुपारी सहकारिता को बड़ा झटका

सुप्रीम कोर्ट ने गुटखा और पान-मसाला जैसे तंबाकू उत्पादों की प्लास्टिक के पाउच में  बिक्री पर से प्रतिबंध हटाने से  इनकार कर दिया.  न्यायाधीश जी.एस. सिंघवी और न्यायाधीश के.एस. राधाकृष्णन की पीठ ने विभिन्न हितधारकों के सभी आवेदनों को यह कहते हुए स्वीकृति दे दी कि अदालत उनकी शिकायतों को सुनेगी.  इस फैसले से दक्षिणी राज्यों में फैले सुपारी सहकारिता को भारी झटका लगा है.

बेंच ने सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम को हितधारकों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सरकार का जवाब चार सप्ताह के भीतर दाखिल करने का निर्देश दिया.

बेंच ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि तंबाकू के उपयोग पर दिनांक 17 फ़रवरी 2011 की रिपोर्ट की प्रतियां दो सप्ताह के भीतर संबंधित पक्षों को उपलब्ध करा दी जांय.

अदालत इस मामले की सुनवाई 20 जुलाई से शुरू करेगी और कहा कि मामले में कोई स्थगन नहीं दिया जाएगा.

सरकार ने पिछले 4 फरवरी को गैर धूम्रपान तंबाकू उत्पादों की प्लास्टिक पैकेजिंग पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून की अधिसूचना प्रकाशित की थी क्योंकि पीठ ने 2 फरवरी को सरकार को कानून नहीं लागू करने के लिए झाड़ लगाई थी और दो दिनों के भीतर ही अधिसूचित करने को कहा था.

राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश की पुष्टि करते हुए बेंच ने गत 7 दिसंबर को गुटखा, पान मसाला और तम्बाकू निर्माताओं को उनके उत्पादों के लिए पैकेजिंग सामग्री के रूप में प्लास्टिक का उपयोग करने से इस साल 1 मार्च से रोक लगा दी थी.

इससे पहले, सुपारी सहकारी के नेताओं ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस यदुरप्पा के नेतृत्व में प्रधानमंत्री और कानून मंत्री से मुलाकात की थी और प्लास्टिक पाउच पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के आदेश पर एक वर्ष के स्थगन का निवेदन किया था.

कर्नाटक, केरल और अन्य राज्यों के सांसदों ने सरकार के आदेश के खिलाफ रैली की था.   सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की 13 अप्रैल की सुनवाई से नेताओं को बहुत उम्मीद थी.

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