गुजरात में एक नए प्रकार की हरित क्रांति शुरू हुई है. चार साल पहले जीसीएमएमएफ से जुड़े 17 दूध संघों ने एक सामूहिक वृक्षारोपण कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया जिसमें दूध उत्पादन के प्रत्येक सदस्य की भागीदारी हो. पिछले चार वर्षों में अमूल के दूध उत्पादकों ने गुजरात में 235 लाख के लगभग पेड़-पौधे लगाए हैं.
किसानों की यह पहल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचानी गयी है. अमूल ने सेवा श्रेणी में लगातार चौथी बार जी3 – गुड, ग्रीन, गवर्नेंस – पुरस्कार 2010 जीत लिया है.
इस ‘अमूल ग्रीन “आंदोलन को “स्थिरता श्रेणी” में सबसे अच्छा वातावरण पहल के लिए इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन द्वारा सम्मानित किया गया है.
पूरे कार्यक्रम को राज्य के 15,000 गांवों में 30 लाख डेयरी सहकारी समितियों के दूध उत्पादक किसान सदस्यों द्वारा आरम्भ और निष्पादित किया गया है. प्रत्येक सदस्य पौधे लगाने की शपथ लेता है और यह सुनिश्चित करता है कि यह एक पेड़ बने.
गुजरात के दुग्ध उत्पादक केवल दूध का उत्पादन ही नहीं करते बल्कि इस हरित पहल से वे पर्यावरण की बेहतरी के लिए अपनी चिंता और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन कर रहे हैं.