महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के बोर्ड के सूपरसेशन से मुंबई का राजनीति तापमान बढ़ गया है. सौभाग्य या दुर्भाग्य से, शरद पवार के भतीजे और राज्य के उप-मुख्यमंत्री श्री अजीत पवार बोर्ड के सदस्य थे और यह कयास लगाया जा रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक की कार्रवाई शरद पवार की ताकत को नेस्तनाबूद करने का कदम है.
पाठकों को पता है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने नाबार्ड की सिफारिश पर महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के बोर्ड को सूपरसीड कर दिया है. बैंक कई चीनी फैक्ट्रियों को असुरक्षित ऋण देने का दोषी पाया गया है. चीनी सहकारिता पर राकांपा की मजबूत पकड़ है, क्योंकि शरद पवार को चीनी सहकारी समितियों के उत्पाद के रूप में देखा जाता है.
यह सच है कि बैंक में सत्ता की चाभी को राकांपा नियंत्रित करता था क्योंकि इसे अपने कई निर्वाचन क्षेत्रों को उपकृत करना पड़ता है. राकांपा का खेमा मान रहा है कि कांग्रेस यह कदम सत्ता को हथियाने के लिए उठा रही है.
इतना ही नहीं, उप मुख्यमंत्री के रूप में अजीत पवार के इस्तीफे की मांग भी जोर पकड़ रही है. शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने उप मुख्यमंत्री अजीत पवार के इस्तीफे की मांग की.
शिवसेना नेता ने कहा कि बैंक के मामलों में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए पवार को पद से हट जाना चाहिए.
कांग्रेस साबित करने की कोशिश कर रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित नहीं है. महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने कहा कि आरबीआई की कार्रवाई नाबार्ड के रिपोर्ट के अनुपालन में थी और नाबार्ड कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आता है. उन्होंने कहा कि अजीत पवार के इस्तीफा की आवश्यकता नहीं है क्योंकि बैंक का मामला आदर्श सोसायटी घोटाले से अलग है.