बिहार के सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह के खिलाफ विपक्ष के हंगामे का असर हुआ और अंततः मंत्री ने अपना इस्तीफा मुख्य मंत्री को सौंप दिया.
पाठकों को मालूम होगा कि श्री सिंह को 1992 में दंगे भड़काने के आरोप में भगोड़ा घोषित कर दिया गया था और हाल ही में वह मुख्यमंत्री के साथ एक मंच पर देखे गए थे. टेलीविजन चैनलों ने ऐसा हो-हल्ला मचाया कि मुख्यमंत्री को शर्मिंदा होकर उक्त मंत्री का स्तिफा लेना पड़ा जिससे कि आगे किसी तरह के नुकसान से बचा जा सके.
राजद के शिविर में स्पष्टतः उल्लास है. भारतीयसहकारिता.कॉम से बात करते हुए बिस्कोमान के अध्यक्ष सुनील सिंह ने कहा कि जब मंत्री खुद ही दोषी हैं, वह औरों के दोष कैसे देख सकते हैं. “उन्होंने मुझे एक महीने में बिस्कोमान से हटाने की धमकी दी थी लेकिन उन्हें खुद ही जाना पड़ा. मैंने उनसे कहा था कि अगर वह सही ढंग से “बिस्कोमान” की वर्तनी बता दें तो मैं इस्तीफा दे दूंगा. लेकिन उन्होंने हमें परेशान करने के लिए सतर्कता जांच शुरू कर दी”, सुनील सिंह ने कहा.
“मैंने बिस्कोमान की आय को 80 लाख रु० प्रति वर्ष से 18 करोड़ रुपए तक पहुंचाया. पूर्व में उच्च न्यायालय ने हमारे पक्ष में फैसला दिया था. फिर भी मंत्री रामाधार सिंह हमें कोने लागाना चाहत थे”, सुनील सिंह ने कहा.
इससे पहले भारतीयसहकारिता.कॉम ने रिपोर्ट किया था कि सत्तारूढ़ पार्टी और राजद के बीच राज्य में सहकारिता की सत्ता की चाभी को नियंत्रित करने की एक लड़ाई चल रही थी. लगता है पहले दौर में शासक वर्ग हार गया है. लेकिन युद्ध शुरू हो गया है और भविष्य में और कई मामले दिखाई पड़ने की उम्मीद है.