भारतीय कर-अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामलों का कभी पता नहीं लगता है. जब भी भारतीयों से जुड़े भ्रष्टाचार के बड़े मामलों का पता चलता है, ज्यादातर की जड़ें विदेशी धरती में पायी जाती हैं. CWG घोटाले में भी ऐसा ही हुआ जिसमें ब्रिटिश अधिकारियों ने रिश्वत का पता उस समय लगाया था जब वे ब्रिटेन स्थित AM कार्स और फिल्म्स के खातों पर छापे मार रहे थे.
“कृभको-Yara संयुक्त उद्यम” में एक भारतीय परामर्शदाता को एक मिलियन अमरीकी डालर के भुगतान के रहस्योद्घाटन की कहानी भी भिन्न नहीं है. इसे भी नार्वे के अधिकारियों ने उस समय उजागर किया जब वे यारा इन्टरनेशनल पर किसी और मामले में, जिसमें कृभको शामिल नहीं था, छापा मार रहे थे.
भारतीयसहकारिता.कॉम नॉर्वे के एक प्रमुख वित्तीय अखबार के साथ सहयोग कर रहा है जिससे सच की जड़ तक पहुंचा जा सके.
भारतीयसहकारिता.कॉम को प्राप्त जानकारी के अनुसार, नार्वे पुलिस मामले में काफी गंभीरता से जांच कर रही है. हालांकि नार्वे पुलिस कई मायनों में बहुत चुप है जब इस मामले की बात आती है. भ्रष्टाचार के मामलों में यह एक सामान्य बात होती है. लेकिन वे मामले की जांच जारी रखते हैं.
“यारा इंटरनेशनल ए.एस.ए.” दुनिया की अग्रणी रसायन कंपनी है जो किसानों और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक उत्पादों को बानाने में रत है. इसका मुख्यालय ओस्लो में है और पूरे विश्व में इसके लगभग 7300 से अधिक कार्यकर्ता हैं. इसका कारोबार विश्व के 50 से अधिक देशों में फैला है और इसके उत्पादों की बिक्री लगभग 150 देशों में चल रही है.
लेकिन अंततः संभावना यह है कि ‘यारा’ मामले में सरकारी गवाह बन सकती है. पकड़ में आने के बाद, Yara ने अपना बचाव करते हुए कहा है कि कंपनी ने इस सौदे में भारत में संदिग्ध लेन-देन के बारे में पुलिस को पहले ही सचेत कर दिया था.
वर्तमान में “Yara अंतर्राष्ट्रीय” के अधिकारी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं. लेकिन एक बार मामला गर्मा जाए और अधिकारी सख्ती बरतें, तो यह कंपनी मामले में सरकारी गवाह बन सकती है.
रकम के मामले में घोटाला काफी छोटा है, लेकिन इसका प्रभाव दूरगामी हो सकता है. कृभको एक सहकारी समिति है जो उसके सदस्यों और किसानों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है. कृभको के मामलों का प्रबंध करने वाले प्रबंधक नहीं बल्कि उच्च प्रोफ़ाइल नेता हैं जो देशभक्ति की बात करते कभी नहीं थकते.
दुर्भाग्य से, मंत्रालय का कृभको के मामले में कोई भूमिका नहीं है. यद्यपि सकरकार का इसमें 30 प्रतिशत का हिस्सा है, कृभको के मामले का संचालन मतदान द्वारा निर्वाचित निर्देशक-मंडल करता है.
भारतीयसहकारिता.कॉम इस पर कड़ी नजर रखे हुए है और वो दिन दूर नहीं जब यह भीतरघात करने वालों का पर्दाफाश करने में सक्षम होगा.