NCUI में लेक्चरर भर्ती घोटाले के भूत के आतंक का कोई अंत दिखाई नही पड़ता. कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव ए. मजूमदार को मामले की जांच का भार सौंपा गया है और पता लगा है कि उन्होंने जिम्मेदारी को काफी गंभीरता से लिया है.
मंत्रालय के अधिकारियों ने NCUI परिसर पर लगभग कब्जा जमा लिया है. कागजात और प्रमाण पत्रों को सत्यापित करते हुए वे पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि चयन प्रक्रिया में किस हद तक नियमों का उल्लंघन हुआ है.
भारतीसहकारिता.कॉम ने पहले भी भर्ती में घोटाले की घटना की सूचना दी थी. पीएमओ को भी उस घोटाले की गंध मिली थी और और उसने कृषि मंत्रालय को मामले की जांच का आदेश दिया.
14 मार्च को मंत्रालय ने नियुक्ति-पत्र जारी करने की प्रक्रिया को रोकने को कहा है. लेकिन जैसा कि पहले बताया गया, पिछली तारीख में हस्ताक्षर कर पत्र जारी करने की प्रक्रिया जारी थी जिसकी पुष्टि डिस्पैच सेक्शन द्वारा की जा सकती है.
मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की है कि NCUI को 4 बिंदु निर्देश जारी किए गए हैं-
१. NCCT के सचिव को निकालें. वर्तमान सचिव श्री परमज्योति हैं जिनपर पूरे मामले को गड्ड-मड्ड करने आरोप लगाया गया है.
2 नियुक्ति को रद्द किया जाय और जारी किए गए नियुक्ति पत्रों को निरस्त किया जाय.
3 श्रीमती अनीता मनचंदा, तत्कालीन मुख्य कार्यकारी से स्पष्टीकरण मांगे जाय जो निष्पक्ष चुनाव के लिए जिम्मेदार थीं.
4 अध्यक्ष के दिन-प्रति-दिन के कार्यों में हस्तक्षेप करने के अधिकार को कम किया जाय.
मंत्रालय के सूत्रों से यह भी पता चला है कि NCUI के अध्यक्ष श्री चन्द्र पाल सिंह यादव ने कृषि मंत्री शरद पवार से मुलाकात की जिन्होंने जांच खत्म होने तक इंतजार करने को कहा.