पिछले सप्ताह BRICS देशों से सहकारिता नेता बीजिंग में एक ज्ञापन पर हस्ताक्ष करने के लिए इकट्ठे हुए. इसका सदस्य देशों पर दूरगामी परिणाम होगा. सदस्य देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. इन देशों की यह दूसरी बैठक थी. पहली बैठक 2010 में ब्राजिल के ब्रासीलिया शहर में हुई. भारतीय प्रतिनिधिमंडल में NCUI, इफको, कृभको, नैफेड, एनसीसीएफ और अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल थे.
इस अवसर पर बोलते हुए NCUI के अध्यक्ष और भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेता ने कहा,- ‘मैं एक ऐसे राष्ट्र से हूं जो “वसुधैव कुटुंबकम्” में विश्वास करता है. यह एक संस्कृत वाक्य है जो मेरे दिल के बहुत करीब है और यही मेरे देश के सहकारी आंदोलन के पीछे की भावना है. इसका मतलब है, – “पूरी दुनिया एक ही परिवार है”.’
“पांच BRICs राष्ट्र की आबादी दुनिया भर की आबादी का एक तिहाई है और इन राष्ट्रों का दुनिया के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है. इन राष्ट्रों ने अपने हजारो सालों की सांस्कृतिक विरासत से विश्व संस्कृति के विकास पर काफी असर डाला है. आज BRICS देश वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में प्रमुख खिलाड़ी हैं”, चंद्रपाल ने आगे कहा.
नेताओं ने BRICs देशों में सहकारिता तथा सहकारी उद्यमों के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को सुविधाजनक बनाने का फैसला किया. उन्होंने BRICS देशों में मौजूदा सहकारिता आंदोलन की समझ और भागीदारी को नवीकृत करने की कसम खाई.