उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा सीबीआई जाँच का आदेश दिये जाने के बाद से राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) खबरों में है. मामला वर्ष 2010 से संबंधित है जब एनसीसीएफ ने आंध्र प्रदेश बिजली उत्पादन(एपी Jainco) निविदा प्रक्रिया में भाग लिया.
एनसीसीएफ के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र सिंह और तत्कालीन प्रबंध निदेशक श्री गुप्ता तथा वरिष्ठ सलाहकार श्री सिंघल के ऊपर सी.बी.आई. की निगरानी है. मामला एपी Jainco को कोयले की आपूर्ति से संबंधित है, जो आंध्र सरकार की बिजली उत्पादन इकाई है.
निविदा प्रक्रिया में भाग लेते हुए, एनसीसीएफ ने कुछ “स्मार्ट कार्य” किए जो एनसीसीएफ के मुख्य सतर्कता अधिकारी श्री के.एस. बरियार की जानकारी में आए. श्री बरियार ने एक रिपोर्ट तैयार की और उसे मंत्रालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी श्री केकेकर को भेज दिया. श्री केकेकर को उच्च निष्ठा वाला अधिकारी माना जाता है.
मंत्रालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी ने इस मामले में सीबीआई जाँच के लिए एक मजबूत मामला बनाया और उसे मंत्री श्री पी.जे. थॉमस के पास भेज दिया. मि.थॉमस ने लगभग एक महीने तक फ़ाइल दबाए रखा. शायद देश भर में भ्रष्टाचार के मामलों के प्रति सार्वजनिक रोष को बढ़ता देख मंत्री ने अंत में इसे सीबीआई को भेजा.
सीबीआई ने सही मायने में जांच शुरू कर दी है. इस बीच, एम.डी. श्री गुप्ता ने एनसीसीएफ छोड़ दिया है और एक नये एम.डी. ने कार्यभार संभाल लिया है.
देश में प्याज संकट के प्रबंधन में अभूतपूर्व सफलता के लिए एनसीसीएफ खबर में बना रहा है. नैफेड पहले से ही घाटे के गठबंधन की चपेट में है और जबर्दस्त भ्रष्टाचार ने नाको दम कर रखा है. अतः सरकार ने विशाल कृषि सहकारी का एक विकल्प बनाने की आशा में एनसीसीएफ में विश्वास जताया है. लेकिन अध्यक्ष और उनकी टीम ने धोटालों के झ्ड़ी लगाकर खुदकुशी का आलम बना दिया है.
एनसीसीएफ में वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्तियों में भी घोटाले की खबर है, जिसके लिए विज्ञापन 2011 मार्च के महीने में पहली बार आया था. बहुत से हिल्ले-हवाले के बाद यह अब 15 जुलाई के लिए तय हो गया है. यह कहा जाता है कि उम्मीदवार पहले से चुन लिए गए हैं और Indiancooperative.com के पास उनका नाम की सूची भी है.