एकीकृत चीनी निर्माता राणा शुगर्स ने एक मिलियन टन (एमटी) स्वीटनर के निर्यात की अनुमति के लिए दावा कर रखा है ताकि घरेलू चीनी फर्मों इसकी उच्च वैश्विक कीमतों का लाभ ले सकें.
“केंद्र द्वारा निर्णय जल्द ही लिया जाना चाहिए ताकि गेहूं की फसल के मामले वाली स्थिति से बचा जा सके क्योंकि तब इसके निर्यात पर प्रतिबंध उठाने के बावजूद, मूल्य गिर जाने के कारण लदान नही हो सका”. राना शूगर लिमिटेड के एम.डी. राना इन्दर प्रताप सिंह ने चण्डीगढ़ में कहा.
“मौजूदा वैश्विक दरों पर चीनी निर्यात पर 38 रुपये प्रति किलो मिलेंगे जबकि घरेलू बाजार में दर 28 रुपए प्रति किलो के आसपास है. तो, चीनी कंपनियों को अतिरिक्त 10 रुपये प्रति किलो अतिरिक्त मिलेंगे”. उन्होंने कहा.
सरकार ने अब तक ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत चरणों में एक मि. टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी. चीनी निर्माता जोर दिया कि 1 मि. टन चीनी निर्यात की अनुमति के बाद भी देश में पर्याप्त स्टॉक है जो घरेलू चीनी की दरों में किसी भी समय “अचानक” वृद्धि का कारण होगा.
2010-11 के मौसम के लिए स्वीटनर का उत्पादन 24.2 मि. टन (अक्टूबर-सितंबर) रहा जबकि पिछले सत्र में 19 लाख टन रहा. पिछले सीजन के लिए स्टॉक 5 लाख टन है, जबकि देश में चीनी की खपत 22.5 मि. टन है.
देश में चीनी के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक राणा शुगर्स की पेराई क्षमता 15,000 टन प्रति दिन है. इसकी एक इकाई उत्तर प्रदेश और एक पंजाब में है. 2010-11 में कंपनी की बिक्री पिछले वर्ष 550 करोड़ रुपए की तुलना में इस वर्ष 870 करोड़ रुपये की रही.