केन्द्र से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक सभी ने भारतीय खाद्य निगम को कई करोड़ रुपए के अनाज के उचित भंडारण की कमी के कारण बर्बाद होने के लिए दोषी पाया. नैफेड और एनसीसीएफ, एफसीआई की जगह ले लेंगे – शुरुआत में ऐसी उम्मीद लग रही थी. लेकिन अफसोस कि उनकी संदिग्ध स्थिति के चलते सरकार की दृष्टि में भी वे एफसीआई के संभावित विकल्प के रूप नहीं हैं.
भंडारण की उभरती समस्याओं के बीच, बुधवार को केंद्र ने पंजाब और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य सरकारों को 15.2 मिलियन टन खाद्यान्न की अतिरिक्त भंडारण क्षमता के निर्माण में तेजी लाने को कहा.
वर्तमान में केंद्र के पास 62.23 मि.टन खाद्यान्न की भंडारण क्षमता है. हालांकि गोदामों में स्टॉक 65 मि.टन के चरम स्तर पर हैं. परिणाम स्वरूप, खाद्यान्नों की काफी बड़ी मात्रा खुले में संग्रहित हैं.
जिस बैठक में पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, और बिहार के खाद्य मंत्रियों ने भाग लिया उसमें बम्पर उत्पादन और खरीद के मद्देनजर पिछले वर्ष अपर्याप्त भंडारण क्षमता के मुद्दे को संबोधित किया गया.
नंदन नीलेकणी, भारत की अद्वितीय पहचान प्राधिकरण के अध्यक्ष और योजना आयोग और रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे.
केंद्रीय के अन्न के भंडारण के लिए गोदाम के निर्माण के अलावा, थॉमस ने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे अपने स्वयं के उपयोग के लिए अतिरिक्त भंडारण स्थान बनाएं.
एनसीसीएफ और नैफेड इसमें एक प्रमुख भूमिका निभा सकते थे यदि उनके प्रबंधन में सरकार को पूर्ण विश्वास होता. नेफेड गठबंधन के नुकसान की चपेट में है और एनसीसीएफ “कुछ सौदों” के मामलों पर सीबीआई की निगरानी में है.
केंद्र ने वर्ष 2010-11 की फसल से गेहूं के 28.03 मि.टन और चावल के 32.07 मि.टन की खरीद की है. 2010-11 फसल वर्ष में गेहूं का उत्पादन रिकार्ड 85.93 मि. टन और चावल का ९५.३२ मिलियन टन रहा.