शासन के परिवर्तन के पहले दौर में ही कई सहकारी चीनी मिलों को महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक द्वारा पूर्व मौसम ऋण से वंचित किया गया है. पाठकों को याद होगा कि नाबार्ड द्वारा प्रतिकूल रिपोर्ट के बाद राज्य ने बोर्ड को बर्खास्त कर दिया था.
सहकारी चीनी मिलें पूर्व-मौसम में उनके कारखानों के रखरखाव के लिए ऋण लेती हैं लेकिय MSCB द्वारा खराब प्रदर्शन के कारण मूड बदल गया है और ऋण नमक केक का आकार छोटा हो गया है.
पिछले साल 500 करोड़ रुपये का वितरण हुआ था, लेकिन इस साल यह कम होकर 350 करोड़ रुपये हो गया है.
उप मुख्यमंत्री अजीत पवार जो MSCB में सत्ता के लीवर को नियंत्रित करने वाले कहे जाते हैं, ने बोर्ड के बर्खास्त करने के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ दो-दो हाथ करने को तैयार हो गये थे.
परिवर्तित शासन का चीनी सहकारी समितियों पर खराब असर पड़्ने लगा है क्योंकि नए प्रबंधन ने उन्हें ऋण की पेशकश का फैसला किया है जिन्होंने पुराने ऋण का भुगतान कर दिया है.