शुक्रवार को उड़ीसा विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी. 10 दिनों का संक्षिप्त मानसून सत्र में बहुत बहस के बाद उड़ीसा सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक, 2011 पारित हो गया.
उड़ीसा सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक के पास हो जाने से प्राथमिक, मध्य और सुप्रीम सहकारी समितियों का कार्यकाल चार साल के बजाय पाँच साल का होगा.
विधेयक में प्रावधान है कि समितियों में अनुसूची जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग(सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों सहित) और महिलाओं का समाज में उनकी संख्या के अनुपात में एकरूप और उचित प्रतिनिधित्व होगा.
सत्र के अंतिम दिन भी विपक्षी कांग्रेस और भाजपा के सदस्यों ने सदन में हंगामा किया. वे पिछले साल के राज्यसभा चुनाव के दौरान कथित हौर्स ट्रेडिंग और कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा की मांग कर रहे थे..
कांग्रेस के सदस्य इन मुद्दों पर बहस की मांग कर रहे थे जबकि भाजपा के सदस्य धरना पर बैठ गए.