नाबार्ड को पैसे की कमी है, इसलिए नाबार्ड ने भारत सरकार से 5000 करोड रुपये की मांग की है। 2012 से 17 तक नाबार्ड को बहुत कुछ निपटाना है, और इसके लिए उसे पैसे की सख्त जरुरत है।
अध्यक्ष प्रकाश बख्शी ने प्रेस को बताया कि नाबार्ड का लक्ष्य सहकारी समितियों, कृषि और विभिन्न ग्रामीण विकास योजनाओं का विकास करना है।
नाबार्ड के उधार लेने कि क्षमता लगभग समाप्त हो गई है, अब तत्काल अतिरिक्त पूंजी की जरूरत है। पिछले साल 2010-11 से इसके लाभ उम्मीद से कम रहा है। पूंजी पर्याप्तता अनुपात में मे भी गिरावट देखी गई है।
श्री बख्शी ने सहकारी निकायों से आग्रह किया है कि कोर बैंकिंग अपनाए ताकि वे ऑनलाइन वित्तीय लेनदेन कर सकते है, उन्होंने कहा कि यह केवल उनके ग्राहक आधार को ही बडा नही करेगा बल्कि उन्हें प्रचुर मात्रा में सरकार से व्यापार भी देगा।
नाबार्ड नवीनतम सूचना प्रौद्योगिकी से सहकारी बैंकों को लेस करने की कोशिश पहले से ही कर रहा है। यह इस लक्ष्य को प्राप्त करने में शीर्ष विप्रो और टीसीएस जैसे आई. टी. कंपनियों की सेवाओं का उपयोग कर रहा है, ½ लाख प्राथमिक कृषि समाज को भी अधिक से अधिक तकनीकी सुविधाओं से लेस किया जाएगा ताकि वे जानकारी के चैनल के रूप में कार्य कर सके।