एक सहकारी बैंक को खोलने के लिए 15 लाख रूपए की पूंजी की जरूरत होती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक के नए दिशा निर्देशों के मुताबिक अब इसके लिए 3 करोड रुपए कि जरुरत होगी। इस पर जब भारतीय सहकारिता डॉट कॉम ने बैंकरों से बात की तो केशव कॉपरेटिव बैंक के चेयरमेन श्री यतेंद्र मलिक का कहना है कि नए बैंको को खोलने हेतू लायसेंस लेने के लिए केपिटल को 3 करोड करना कॉपरेटिव बैंको के हित में है। हम इसका स्वागत करते है।
नोबल कॉपरेटिव बैंक के CEO श्री वी. के. शर्मा का कहना है कि रिजर्व बैंक का जो भी निर्णय है वह ठीक है। आज की तारीख में एक ब्रांच को खोलने के लिए कम से कम 50 लाख रू. की जरुरत होती है वर्तमान में 1600 कॉपरेटिव बैंक में से 700 ही “A” ग्रेड श्रेणी में है, इससे केवल एक परेशानी यह होगी कि बैंको को लगाने का काम थोडा कठिन हो जाएगा।
वर्तमान में केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के द्वारा कॉपरेटिव को कॉरर्पोरेट के समकक्ष लाने कि कोशिशें चल रही है, सरकार दोनों मे रेग्युलेशन और सुपरविजन के मामले में कोई फर्क नही करना चाहती। इसी कारण कॉपरेटिव सेक्टर लगातार दबाव में है।
सिटीजन कॉपरेटिव बैंक के CO श्री प्रेम मिश्रा का कहना है कि रिजर्व बैंक ने अच्छा किया है, इससे जो बैंक गलत खुल जाते है, उन पर रोक लग जाएगी। लायसेंस के लिए केपिटल को बडाने से बैंको के अचानक बंद होने जैसी घटनाओ पर रोक लग जाएगी।
जामिया कॉपरेटिव बैंक के सिनियर ऑफिसर श्री एम. एम. जामन का कहना है कि यह केपिटल बहुत ज्यादा है इससे नए बैंको को खोलना मुश्किल हो जाएगा पर इससे फायदा
यह होगा कि कमजोर बैंक नहीं खुल पाएंगे।