अंतर्राष्ट्रीय वर्ष (2012 IYC) में सहकारी समितियों पर ध्यान दिया जा रहा है ऐसे में कुछ सहकारी समितियाँ जो सरकारी सहायता के बिना अस्तित्व में हैं, वे कुछ व्यक्तियों की सरासर धैर्य के कारण कार्य कर रहे हैं, दीदी बैंक उनमें से एक है।
एक स्वयं सहायता समूह झारखंड में दीदी बैंक के रूप में लोकप्रिय हो रही है, पहली बार राज्य के सिंहभूम जिले में एक गांव में इस बैंक की स्थापना की गई। दीदी बैंक का लक्ष्य गरीब महिलाओं को अपने पैरों पर आर्थिक रूप से खङा करना है।
वेरोनीता लाकड़ा नाम की महिला मुख्य रूप से इस क्रेडिट संगठन की शुरुआत के लिए जिम्मेदार रही है।
मूलतः चिराग महिला बचत स्वावलंबी समिति के रूप में शुरु की गई संस्था को बाद में दीदी बैंक के नाम से जाना जाने लगा।
यह बैंक 100 रुपये की ऋण पर ब्याज के रूप में 1 रुपये शुल्क चार्ज करती है।
बैंक सरकार से मदद लेने के विचार के खिलाफ है और वह अपने स्वयं की बैंकिंग
कार्यप्रणाली को ही उचित मानती है।
मामूली आर्थिक गतिविधियों में लगे लोग ही इस बैंक से लाभ उठाते हैं।