धनराशि के इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर को लोकप्रिय बनाने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक ने सहकारी बैंकों को केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में भाग लेने के लिए अनुमति दे दी है।
इसी के साथ, सभी बैंक अब धनराशि को आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणाली के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर कर सकते हैं।
अभी केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिए केवल सदस्य द्वारा सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों तक ही पहुँचा जा सकता है। अपवाद के रूप में, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को उनके प्रायोजक बैंकों के माध्यम से एनईएफटी प्रणाली का उपयोग करने दिया गया है। सभी लाइसेंस प्राप्त बैंकों को एनईएफटी और आरटीजीएस सिस्टम में भाग
लेने की अनुमति दी गई है। यह बात रिजर्व बैंक की एक अधिसूचना में कहीं गई है।
एनईएफटी प्रणाली द्वारा धनराशि का इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर खुदरा ग्राहकों के लिए है, जबकि आरटीजीएस प्रणाली से 2 लाख रुपये तक की राशि इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर की सुविधा मिलती है। यह सभी लाइसेंस प्राप्त बैंकों के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था होगी।
अधिसूचना में कहा गया है कि सदस्य उपकेंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों में उनके प्रायोजक बैंक जो कि केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली के प्रत्यक्ष सदस्य है उनके माध्यम से भाग लेंगे। केंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों में ऋण और उसका समय पर वापसी का प्रावधान हैं।