महाराष्ट्र में जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों की स्थिति बेहद खराब है और उन्हें दुरूस्त करने के तमाम प्रयास विफल रहे है।
इन बैंकों के संकट का मुख्य कारण बेईमान नेताओं द्वारा लंबे समय से इन पर कसा शिकंजा है, वित्तीय घोटालों की एक श्रृंखला ने भी इन बैंकों को क्षतिग्रस्त किया गया है।
DCCBS बैंकों को कृषि और ग्रामीण विकास (नाबार्ड) राष्ट्रीय बैंक से पैसा मिलता है, DCCBS कृषि ऋण के वितरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए इन बैंको के पतन के गंभीर परिणाम हो सकते है।
जमाकर्ताओं के हित से जुड़े प्रश्नों के कारण रिजर्व बैंक इन बैंको को अपने वित्तीय प्रबंधन में सुधार लाने का सुझाव देता रहा था लेकिन इन बैंको ने कुछ भी नहीं किया।
बैंकों के सुस्त रवैये से संकट बढ़ता गया, अब ऐसी अटकलें हैं कि रिजर्व बैंक जल्द ही उन्हें अपने बैंकिंग परिचालन को रोकने के लिए कह सकता हैं। यदि ऐसा होता है,तो इन बैंकों कि मुश्किलें बढ़ जाएगी और ये बैंक मात्र सहकारी समिति बन कर रह जाएँगे और परिणामस्वरुप नाबार्ड से धन मिलना बंद हो जाएगा।