विशाल डेयरी जीसीएमएमएफ और अमूल ब्रांड के सहकारी मालिक ने 2020 तक अपना उद्देश्य कारोबार को 30,000 करोड़ रूपए करना है।
हैदराबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में आरएस सोढ़ी, प्रबंध निदेशक, जीसीएमएमएफ ने कहा कि अगले चार सालों में नौ नए संयंत्र 3,000 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित किए जाएंगे। वह आंध्र प्रदेश के बाजार में एक प्रोटीन युक्त पेय अमूल प्रो के शुभारंभ की देखरेख के लिए किया गया।
आरएस सोढ़ी ने कहा कि डेयरी उत्पादों के निर्माता 2020 तक कारोबार को 30,000 करोड़ तक छूने की योजना है। अगले चार वर्षो में नौ नए संयंत्रों की स्थापना करेंगे जिससे मौजूदा 40 संयंत्रों की क्षमता में वृद्धि हो जाएगी जिसके लिए हम 3,000 करोड़ रुपए निवेश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हममें 14.5 लाख लीटर प्रति दिन उत्पादन की क्षमता है और यह विस्तार के बाद बढ़कर प्रतिदिन 18 लाख लीटर तक पहुंच जाएगा। सोढ़ी ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में दूध खरीद मूल्य में लगभग 50% की वृद्धि हुई है ताकि किसानों को लाभ दिया जा सके। उन्होंने कहा कि किसानों की वर्तमान पीढ़ी दूध के कारोबार में व्यवहारिक नहीं लग रही है और स्थिति को अन्य एशियाई देशों की तरह आयात पर निर्भर करने पर मजबूर कर सकते हैं।
इसलिए हमने सोचा कि अगर हम इसे गंभीरता से नहीं लेंगे तो भारत, पाकिस्तान जैसे अन्य एशियाई देशों की तरह हो जाएगा जो कि दूध के आयात पर निर्भर रहते है। उन्होंने समझाया कि इसलिए किसान के लिए मूल्य में वृद्धि हुई ।सोढ़ी के अनुसार, जीसीएमएमएफ वर्तमान में भैंस के दूध के लिए 30.40 रुपये और गाय के दूध के लिए 22.50 रुपये सहित भुगतान करता है।
यूरोपीय संघ को निर्यात पर एक प्रश्न के जवाब में सोढ़ी ने कहा कि दूध देने के लिए मशीनों के उपयोग से निर्यात के लिए बाधा नहीं होगी। उन्होंने कहा कि भारत में दूध देने की मशीन के साथ दूध नहीं मिलें….यह असंभव है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि 2020 तक 30,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य दो साल पहले ही प्राप्त कर लिया जाएगा।