दूध के किसानों में देश भर में गुस्सा हैं, वे तथाकथित बिचौलियों द्वारा उनके शोषण के खिलाफ विरोध कर रहे हैं।
वे सरकार पर दबाव डालकर उनका ध्यान आकर्षित कर रहे है, वे सफेद तरल में काला व्यापार कर रहे लोगों के खिलाफ लामबंद है।
उनका विशेष रूप से यह कहना है कि डेयरी क्षेत्र में अत्यधिक संदिग्ध व्यापार चल रहा है लेकिन सरकार भी इस बड़े पैमाने पर अवैध कारोबार को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रही है जिससे वे अत्यंत पीड़ादायक महसूस कर रहे हैं।
वे मानते हैं कि तथाकथित सहकारी समितियों के नाम पर बेईमान और असामाजिक तत्व अवैध व्यापार में लिप्त है।
उनकी दो माँगें है: उनको डेयरी माफिया से राहत मिलें और उनको दूध के लिए मूल्य दिया जाए।