भारतीय सहकारिता डॉट कॉम अब नए स्वरुप में दिखाई देगा। इस समाचार पोर्टल की शुरुआत दो साल पहले हुई थी, इसे अपने पाठकों की भारी प्रतिक्रिया से प्रोत्साहन मिला है। पाठकों को और बेहतर सेवा देने के लिए हमने कुछ विशेष फीचर को जोड़ने का फैसला किया है।
हमारी संपादकीय टीम का मानना है कि यहाँ कई सहकारी कानूनों से संबंधित मुद्दें हैं जिन्हें समझने की तत्काल आवश्यकता है, सहकारी क्षेत्र में पाठकों के संदेह और उनके प्रश्नों का विशेषज्ञों द्वारा जवाब दिया जाएगा।
ऐसी सहकारी समितियाँ जिन्होंने सरकारी उदासीनता के बावजूद अस्तित्व में आने के लिए कठिन संघर्ष किया है ऐसी सहकारी समितियों के संघर्ष को बताना हमारा लक्ष्य होगा।
झारखंड की दीदी बैंक ऐसी ही सहकारी समिति है जिसके संघर्ष और इसकी सफलता को इस समाचार पोर्टल पर विशेष अंक के तौर पर प्रकाशित किया था। हम अंतर्राष्ट्रीय सहकारी वर्ष के सुनहरे मौके पर ऐसी कई सफल कहानियों को जोड़ना चाहते हैं।
देश में सहकारी क्षेत्र में सहयोग के लिए कई विचारक और विद्वान अपने उत्तेजक लेख से सहकारी आंदोलन का प्रचार करना चाहते हैं, हम एक “सहकारी कॉफी शॉप” फीचर के माध्यम से इस तरह के विचारों का प्रसार करने का इरादा रखते हैं।
नई व्यवस्था से भारतीय सहकारिता डॉट कॉम से अंग्रेजी संस्करण इंडियन कॉपरेटिव डॉट कॉम पर जाना और अधिक आसान हो गया है।
भारतीय सहकारी आंदोलन को विकसित करना और इसमें बदलाव के लिए हमारे समाचार पोर्टल ने एक शुरूआत की है और हमें आशा है कि हमारे पाठकों द्वारा इसे आगे भी पसंद किया जाएगा, आपकी बहुमूल्य टिप्पणी और प्रतिक्रिया हमारे लिए महत्वपूर्ण है।