बिहार में सहकारी निकायों के निदेशकों के बीच लड़ाई के कारण सहकारी क्षेत्र युद्ध क्षेत्र में बदल गया है। 23 मई का सम्मेलन पूर्व बिस्कोमॉन अध्यक्ष सुनील सिंह द्वारा आयोजित किया गया था, जिसके बाद राज्य द्वारा सहकारी सम्मेलन 26 मई को प्रायोजित किया गया।
सुनील सिंह से आतंकित सरकार ने श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल का उपयोग करने के लिए भले ही अनुमति नहीं दी बावजूद इसके सहकारी नेताओं की संख्या हजारों में थी, सुनील सिंह ने भारतीय सहकारिता डॉट कॉम से बात करते हुए कहा।
सुनील सिंह के कार्यक्रम में कई शीर्ष नेताओं सहित एनसीयुआई अध्यक्ष चन्द्रपाल सिंह यादव ने भाग लिया। सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को सहकारिता के प्रति जागरुक करना और उन्हें इस क्षेत्र में सक्रिय बनाना था।
सुनील सिंह के मुताबिक राज्य में सहकारिता क्षेत्र में महिला कार्यकर्ताओं के अभाव में भाजपा महिलाओं को उतारा गया था। सहकारी अधिकारियों ने प्रत्येक जिले में चेतावनी दी थी और भाजपा महिला सेल से संपर्क करने के लिए स्वयंसेवकों को भेजने के लिए कहा था। राज्य में केवल 264 महिलाएँ पैक्स अध्यक्ष हैं, उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि पैक्स में 8500 पुरुष अध्यक्ष को आमंत्रित नहीं किया था।
सुनील सिंह के विरोधियों ने उन पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया है। वे अपने राजनीतिक स्वार्थों के कारण पैक्स अध्यक्ष की ओर से बात कर रहे है, उनका तर्क है।
उनमें चुनाव लड़ने का साहस नहीं है और बिहार में चुनाव हाल ही मे प्राधिकरण के तहत नई प्रणाली के माध्यम से किया गया है तो वे उनकी ओर से कैसे बात कर सकते हैं? वह एक ऐसे सहकारी नेता है जो पारदर्शिता से डरते है और वे अब मात्र एक कागजी शेर बनकर रह गए है, लोगों का कहना है।