खबर है कि शीर्ष बैंक ने सहकारी बैंकों को फिक्स्ड डिपॉजिट के रूपांतरण के लिए अपने स्वयं के मानदंडों की अनुमति दे दी है, इस कदम से बैंकों को संपदा प्रबंधन में सहुलियत रहेगी।
वर्तमान में ग्राहक अपने फिक्स्ड डिपॉजिट को किसी भी समय वापस ले सकता है।
वह अपने निर्णय के लिए कोई भी नुकसान नही उठाता है। सजा के अभाव से ग्राहकों को ऐसा करने का प्रोत्साहन मिलता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक का यह निर्णय बहुत पहले ही आ जाना चाहिए था और अब सहकारी बैंकों को संपदा प्रबंधन के मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन करने की आजादी होगी।