भारतीय रिजर्व बैंक ने देश में जो सहकारी बैंक बुनियादी मानदंडों को पूरा करने में विफल रहे है उन्हें जांच के दायरे में डाल दिया है। शीर्ष बैंक ने कर्जदाताओं को जनता से जमाराशि प्राप्त करने से रोका है।
भारतीय रिजर्व बैंक का यह कदम इन बैंकों में काम करने के तरीकों में बदलाव करने के इरादे से उठाया गया है।
बैंकों से अपनी स्थिति में सुधार लाने की उम्मीद किया जा रहा हैं। अन्यथा, वे मुसीबत में पड़ जाऐंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक और नाबार्ड के अधिकारी इन बैंकों पर नजर रख रहे है।
नाबार्ड के अध्यक्ष के अनुसार, अभी तक कुल मिलाकर 50 सहकारी बैंकों को बंद किया जाना था। उनमें से आठ सहकारी बैंकों ने मानदंडों को पूरा कर लिया है और 42 बैंकों के मानदंडों को पूरा नहीं करने के कारण निगरानी में रखा गया है।
एक अनुमान के अनुसार, देश में 30 राज्य और 370 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक है। इन बैंकों की कुल जमा 2.31 खरब और 2010 में उनकी कुल संपत्ति 3.39 खरब थी।
एक पैनल द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार, सहकारी बैंक के पास अत्यधिक एनपीए नहीं होना चाहिए और न ही उन्हें किसी भी वित्तीय अनियमितताओं में लिप्त होना चाहिए। बैंकों से कम से कम 1 लाख की मूल्य की समाप्ति की अपेक्षा की जाती है।
भारतीय रिजर्व बैंक की राय है कि इन बैंकों को बुरी तरह से प्रबंधित किया जा रहा हैं और उनमें गंभीर भ्रष्टाचार व्याप्त है।