महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने राज्य में सहकारी क्षेत्र में चुनाव संचालन के लिए एक स्वतंत्र चुनाव प्राधिकरण का जरुरत पर बल दिया है।
यह उसी तर्ज पर लग रहा है, जिस प्रकार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में वर्ष 2008 में सहकारी समितियों में निष्पक्ष चुनाव के लिए अलग चुनाव आयोग की स्थापना की थी। प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के नेटवर्क ने बिहार सरकार को सभी विकासात्मक गतिविधियों में भारी मदद की है।
कहने की जरुरत नही कि महाराष्ट्र में सहकारी क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा घटक है, महाराष्ट्र में करीब दो लाख सहकारी संगठन हैं। सहकारी क्षेत्र में 5 करोड़ से अधिक मतदाता हैं और चुनाव कराने के लिए एक बड़े संगठनात्मक संरचना की जरुरत है।
मुख्यमंत्री चव्हाण के अनुसार, भारत के चुनाव आयोग की तर्ज पर ही कोई संगठन राज्य की आवश्यकता को पूरा कर सकता हैं।
इस अवसर पर राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सहित कई महत्वपूर्ण राजनीतिक नेताओं ने मुख्यमंत्री के साथ अपनी सहमति व्यक्त की और कहा कि सहकारी क्षेत्र को लोकतंत्र की ठोस खुराक की जरूरत है नही तो यह राज्य में आम लोगों के साथ विश्वासघात देगा।