भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयुआई) उपनियमों में संशोधन के मुद्दे पर बैठक कर रही है। वर्तमान अध्यक्ष चन्द्र पाल सिंह यादव के पंच श्री मांझी के निर्णय को कारण कानूनी पेंच में फँस गए है। भविष्य में इस तरह की स्थिति उत्पन्न ना हो इसके लिए उपनियमों में सुधार करने की कवायद शुरु की जा रही है।
शीर्ष सहकारी संगठन एनसीयुआई, दिल्ली में गुरुवार को अपनी वार्षिक आम बैठक (एजीएम) आयोजित कर रहा है जहां देश के विभिन्न भागों से प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद हैं।
इफको, कृभको और नेफेड जैसे राष्ट्रीय स्तर के सहकारी महासंघों को निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में माना जाएगा और इस संशोधन के बाद केवल सरकार नामित सदस्यों को ही नामित माना जाएगा।
भारतीय सहकारिता डॉट कॉम से बात करते हुए एनसीयुआई अध्यक्ष चन्द्र पाल सिंह यादव ने कहा कि यह प्रावधान पहले से ही था, लेकिन पंच के फैसले से हमने “स्पष्टीकरण” करने की जरूरत महसूस की है।
जब भारतीय सहकारिता डॉट कॉम ने उनसे पूछा कि क्या उपनियमों में इस परिवर्तन से मौजूदा कानूनी उलझन से बचने में मदद मिलेगी, तब चन्द्र पाल ने कहा, “इससे मुझे वर्तमान मामले में मदद नहीं मिलेगी लेकिन भविष्य में संवैधानिक संकट टाला जा सकता है।”
पहले से ही एनसीयुआई उपनियमों में प्रावधान है कि चार सबसे अधिक भुगतान करने वाले सहकारी महासंघ एनसीयुआई और उनके के मामलों में उन्हें वे सभी अधिकार होंगे जो अधिकार शासी परिषद के अन्य सदस्यों को होगा। चन्द्र पाल सिंह अपने मूल संगठन से सदस्य चुने गए हैं और इस तरह एनसीयुआई द्वारा उन्हें इसी तरह माना जाएगा।
सामान्य बैठक सरकार को नए सिरे से अपील कर सकता है वह अपने आश्वासन के मुताबिक सारी रकम जल्दी दे ताकि विभिन्न क्षेत्र परियोजनाओं पर काम कर रहे कर्मचारियों को भूखमरी से बचाया जा सकें।
यह सरकार की परियोजनाएँ है और एनसीयुआई केवल उन पर नजर रखने का काम करता है। हम कृषि मंत्री से मिलकर पैसे देने का अनुरोध करेंगे, श्री सिंह ने कहा।