भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ ने 21 जून को सामान्य निकाय की वार्षिक बैठक का आयोजन किया। इस एजीएम का संबोधन डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव, अध्यक्ष, एनसीयूआई ने किया। डॉ. चंद्रपाल ने विभिन्न राज्यों से आए डेलीगेट्स का अभिनंदन करके आभार व्यक्त किया। श्री सिंह ने कहा कि इस महत्वपूर्ण अवसर पर आपकी उपस्थिति हमारे लिए उत्साहवर्धक है, और यह हमारे अंदर प्रेरणा का संचार करती है।
श्री सिंह ने कहा कि हमारे देश का सहकारी आंदोलन विश्व का सबसे बड़ा सहकारी आंदोलन है इसलिए हमारा कर्तव्य बन जाता है कि हम इस अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2012 को धूमधाम से मनाए।
अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2012 की तैयारियों को लेकर हमने कई कार्यक्रम आयोजित किए है जैसे मीडिया पर राष्ट्रीय सहकारी कार्यशाला, क्षेत्रीय सहकारी सम्मेलन, संगोष्ठियाँ, मेलों व प्रदर्शनियों का आयोजन, पुस्तकों का प्रकाशन, पोस्टर, बैनर, टोपियों का वितरण, डॉक्यूमेंट्री फिल्म एवं आईवायसी 2012 की थीम वीडियो का निर्माण करना आदि सम्मिलित है,श्री सिंह ने कहा।
श्री सिंह ने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के निरंतर प्रयासों के फलस्वरुप 97वाँ संवैधानिक संशोधन बिल संसद द्वारा पास हो गया है। इस बिल के पास हो जाने से सहकारी समितियों को कई सहूलियत मिल पाएंगी जैसे सहकारी समितियाँ बनाना अब मौलिक अधिकार हो जाएगा, देशभर में कार्यरत 6 लाख सहकारी समितियों को राजनीतिक दखल से मुक्ति मिल जाएगी, केंद्र और राज्यों की सहकारी समितियों में एकरुपता आएगी।
श्री सिंह ने बहुराज्यीय सहकारी अधिनियम 2010 के विषय में कहा कि यह अधिनियम संसदीय स्थाई समिति के समक्ष समीक्षा के लिए विचाराधीन है। श्री सिंह ने कहा कि इस अधिनियम में संशोधन संबंधित अधिक से अधिक सुझाव संसदीय स्थाई समिति को भेजें ताकि संसदीय समिति द्वारा इस अधिनियम पर विचार किया जा सकें।
इस अवसर पर अन्य कई गतिविधियों का उल्लेख करते हुए डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव ने कहा कि संघ की भावी योजनाओं में युवाओं और महिलाओं को अधिकाधिक संख्या में सहकारिता से जोड़ना है। इसके अलावा मानव संसाधनों को आगे बढ़ाना, केंद्रीय विद्यालय स्कूल संगठनों, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, नवोदय विद्यालय, एवं राज्य शिक्षा बोर्ड के साथ मिलकर स्कूली बच्चों को सहकारिता के प्रति जागरुक करना है। संघ द्वारा सहकारी युवा मार्च निकालने की भी योजना है जिसे “यूथ आई कॉन” से संबोधित किया जाएगा।
इसके अलावा कई डेलीगेट्स ने एनसीयूआई के कार्य की प्रशंसा की साथ ही इस एजीएम में वांछित उपस्थिति न होने पर चिंता भी जताई और इस अनुपस्थिति का कारण कम्युनिकेशन गेप को बताया।