सहकारी बैंकिंग के वित्तीय मानकों में भारी गिरावट देखी गई है और इसी कारण भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक के वित्तीय स्वास्थ्य की जाँच के लिए कड़े नियम की बात कही हैं। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सख्त मानदंडों के कारण विकास सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के लोगों में असंतोष है।
नए कठिन मानकों में शहरी सहकारी बैंकों को शुद्ध 10 प्रतिशत के मुकाबले 10 प्रतिशत की सकल गैर-निष्पादित संपत्ति अनुपात बनाए रखना होगा। जो बैंक इन मानकों पर खरा नही उतरेगा उसे आरबीआई द्वारा सजा दी जाएगी।
शहरी सहकारी बैंकों के विभिन्न संघों ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित मानदंडों के बारे में संदेह व्यक्त की है और चेतावनी दी है कि यह कदम शहरी सहकारी बैंकों की कार्यशैली को बिगाड़ सकता है।
नए मानदंडों में अग्रिमों के 70 प्रतिशत, 20 शीर्ष धारकों के खाते में 30 प्रतिशत से अधिक जमा नहीं हो सकते और पूंजी पर्याप्तता का 6 प्रतिशत से कम होने का मतलब इन बैंकों पर भी नजर रखेगी।