अंतर्राष्ट्रीय कॉपरेटिव कांफ्रेस का समापन समारोह आज दिल्ली के एनसीयुआई ऑडिटोरियम में सम्पन्न हुआ। एनसीयुआई के सीईओ डॉ. दिनेश के संबोधन से सम्मेलन के कार्यक्रम की शुरुआत हुई. मंच पर गणमान्य वक्ता और हॉल में सुधि श्रोता मौजूद थे. दरअसल बहस के लिए एक उपयुक्त वातावरण मौजूद था.
कार्यक्रम के प्रथम सत्र की अध्यक्षता नेफेड के चेयरमैन डॉ. बिजेन्दर सिंह ने की। इंडियन कॉपरेटिव नेटवर्क फॉर वुमैन, चेन्नई की अध्यक्षा डॉ. जया अरुणांचलम ने आरम्भ में सहकारिता में नारी सशक्तिकरण पर एक विशिष्ट परिचर्चा शुरु की। डॉ. अरुणांचलम ने विषय पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए अन्य बातों के अलावा सहकारी संस्थाओं से अपील की कि वे ऐसे तरीके और साधन सुझाएं जिससे कि भारतीय महिलाएं देश की वर्तमान योजनाओं के संदर्भ में अपने सामर्थ्य और विचारों को सिद्ध कर सकें।
मलेशिया की श्रीमती जैन्नुद्दीन ने लैंगिक समानता को प्रोत्साहन और बढ़ावा देने में सहकारी संस्थाओं की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मलेशिया की सरकार ने स्वास्थ्य और बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में महिलाओं को ज्यादा तवज्जो देने वाली नीतियां बनाई हैं। इस तरह से वहाँ सहकारिता के मूल सिद्धांतों को लागू किया जा रहा है।
प्रथम सत्र की अध्यक्षता कर रहे डॉ. बिजेन्दर सिंह ने भी महिलाओं की दुर्दशा पर दुख व्यक्त किया और महिला सशक्तिकरण के लिए उचित उपाय करने का आग्रह किया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्रकी अध्यक्षता श्री प्रकाश लोनारे ने की। नेफकब के अध्यक्ष श्री एच.के. पाटिल ने बैंकों की दुर्दशा पर दुख व्यक्त किया। श्री पाटिल ने देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में सहकारिता को महत्वपूर्ण बताया।
भारत सरकार में पूर्व सचिव श्री जे.एन. श्रीवास्तव ने सहकारी संस्थाओं के विकास के संदर्भ में मानवी संसाधन की विशिष्ट भूमिका पर बल दिया. श्री श्रीवास्तव ने सहकारी क्षेत्र में उत्तम तकनीकी के प्रयोग को तेजी से बढाने की पुरजोर वकालत की।
श्री प्रवेश शर्मा, प्रबंध निदेशक, एसएफएसी ने किसानों के समग्र विकास के लिए संस्थाओं के निर्माण पर जोर दिया। श्री शर्मा के मुताबिक सत्तर के दशक में हरित क्रांति को साकार करने में सहकारी संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
समारोह के अंतिम सत्र की अध्यक्षता श्री चरणदास महंत ने की। इस सत्र में श्री आर के तिवारी, संयुक्त सचिव ने भारतीय सहकारिता के विकास के लिए नीतिगत सरकारी कदम उठाने पर जोर दिया। श्री तिवारी ने कहा कि यह आयोजन एक मील का पत्थर है। श्री तिवारी ने भारत की आर्थिक दशा को सुधारने में सहकारिता को महत्वपूर्ण कारण बताया।
श्री सुरेश प्रभु, पूर्व केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ धन्यवाद का पात्र है। उन्होंने कहा कि आम लोगों के सशक्तिकरण के लिए सहकारिता के मूल्यों और सिद्धांतो का उपयोग जरुरी है। गरीब और गरीब न हो तथा अमीर और अधिक अमीर न हो – यह सहकारिता के माध्यम से ही संभव है।
श्री रॉबी टुलुस, क्षेत्रीय निदेशक, आईसीए, एशिया-प्रशांत, ने सहकारिता की आवश्यकता और वर्तमान में सहकारिता के रोल पर प्रकाश डाला। श्री टुलुस ने बदलती विश्व अर्थव्यवस्था में सहकारिता की भूमिका को भी रेखांकित किया।
सम्मेलन कृषि एवं खाद्य प्रसंसकरण मंत्री श्री चरण दास के समापन संबोधन से सम्पन्न हुआ.