राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष, चन्द्र पाल सिंह यादव और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के बीच बुधवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। जबकि पवार को नए कृषि सचिव बहुगुणा (जो पीके बसु की जगह है) और संयुक्त सचिव ने सहायता प्रदान की, चन्द्र पाल के साथ मुख्य कार्यकारी डॉ. दिनेश थे।
बैठक के बारे में डॉ. दिनेश ने भारतीय सहकारिता डॉट कॉम से बात करते हुए कहा कि यह बैठक कुछ अलग थी, जिसमें विचारों का मुक्त आदान-प्रदान हुआ। “हमने अपने मामले प्रस्तुत किए और सरकार की ओर से निरंतर समर्थन के लिए अनुरोध किया, मंत्रीजी ने सभी मामलों को गंभीरता से लिया है जिससे मैं खुश था”, डॉ. दिनेश ने कहा।
क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए कोष उपलब्ध कराया जाएगा डॉ. दिनेश ने कहा है कि नियमित रूप से बातचीत महत्वपूर्ण है और अब सब्र कुछ ठीक है। हम इस सप्ताह कुछ ठोस कार्यवाही की उम्मीद कर सकते हैं।
पाठकों को याद होगा कि सुप्रीम सहकारी संगठन के प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रमों के लिए फंड की कमी के चलते सरकार ने एनसीयुआई के लिए सहायता बंद कर दी है। कई राज्यों में देश के विभिन्न क्षेत्र परियोजनाओं में एक अल्प वेतन पर काम कर रहे लोगों को पिछले कई महीनों से उनको वेतन नहीं मिला है।
डॉ दिनेश के अनुसार, एनसीयुआई अध्यक्ष चन्द्र पाल सिंह ने मंत्री से पहले क्षेत्र के अधिकारियों की स्थिति पर बातचीत की। क्षेत्र के अधिकारी और उनके परिवार दिक्कतें महसूस कर रहे है।
मंत्रालय ने कहा है कि हमारे काम में सुधार हो और हम नई भर्ती और पदोन्नति नीतियों के बारे में मंत्रीजी को सुचनाएँ दी। मुख्य कार्यकारी ने भारतीय सहकारिता डॉट कॉम को सूचित किया।
भारतीय सहकारिता डॉट कॉम के पूछे जाने पर कि अगर मंत्री ने कोष जारी करने के लिए एक पूर्व शर्त के रूप में एनसीयुआई की शासी परिषद की शक्ति में कटौती पर जोर दिया, तो डॉ. दिनेश ने चतुराई से बात को टाल दिया।
पाठकों को याद होगा कि सरकार ने कार्यपालिका शक्ति अध्यक्ष और जीसी से वापस लेने पर जोर दिया था। यह सुझाव दिया था कि शासी परिषद को सिर्फ नीतिगत मामलों से मतलब रखना चाहिए है और देश में सहकारी आंदोलन के विकास के लिए काम करना चाहिए। एनसीयुआई बोर्ड ने इसे अस्वीकार कर दिया था और इसलिए दोनों के बीच विवाद खड़ा हो गया था।
एनसीयुआई और मंत्रालय के बीच बुधवार की बैठक एक लंबे समय के बाद हुई है और यह शीर्ष सहकारी संस्था के अस्तित्व के लिए आशा की एक किरण है।