बिहार का पालीगंज आज सुर्खियों में है। वहाँ एक बड़ा प्रयोग चल रहा है।
यह प्रयोग 2000 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा प्रेरित होकर प्रौद्योगिकी मिशन 2020 के मिशन मोड कार्यक्रम के तहत शुरू किया गया था।
पालीगंज के किसानों को अमलसाद, चीकू फल सहकारी और महाराष्ट्र में वरनापुरा के दौरे पर भेजा गया था, ताकि वे सहकारी प्रणाली के गुण को समझ सकें।
गौतम गोस्वामी जो कि पालीगंज में पूरे प्रयोग का निर्देशन कर रहे है काफी खुश और उत्साही है, मीडिया से बात करते हुए हाल ही में इसके बारे में कहा कि पालीगंज में पहले अनाज का उत्पादन मात्र दो टन प्रति हेक्टेयर होता था, लेकिन प्रौद्योगिकी मिशन से 5 टन प्रति हेक्टेयर कृषि में उत्पादकता मे वृद्धि हुई है।
पालीगंज प्रयोग की निगरानी सूचना प्रौद्योगिकी और विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मूल्यांकन परिषद, भारत सरकार द्वारा की जा रही है। यह जगह पटना से थोड़ी दूरी पर है।
सूत्रों का कहना है कि किसानों को खेती के नए विचार और जोखिम की अधिक जानकारी देने की कोशिश की जा रहा है। आशा है कि पालीगंज प्रयोग बिहार में खेती के भविष्य को प्रभावित करेगा है, उन्होंने कहा।