जीसीएमएमएफ को लोकप्रिय अमूल के रूप में जाना जाता है जो कि डेयरी उत्पाद बेचता है जिसने एक कंपनी के रूप मे शोहरत हासिल की है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमूल बालिका ने ब्रांडिंग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन भारतीय सहकारिता को इसकी महान प्रतिष्ठा के पीछे का एक और कारण दिखता है।
घटना छोटी लेकिन महत्वपूर्ण है, यह दर्शाता है कि कैसे एक संगठन का निर्माण हो जाता है।
दिल्ली के एक पाठक ने टिप्पणी भारतीय सहकारिता के बॉक्स में लिखा है कि पिछले तीन दिनों से अमूल उसे बासी दूध की आपूर्ति कर रहा है।
भारतीय सहकारिता ने यह टिप्पणी सोमवार शाम को अमूल के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी को भेज दी। श्री सोढ़ी ने वापसी में तुरंत ई-मेल करके शिकायतकर्ता से संबंधी अन्य जानकारी पूछी।
पूरे दिन प्रबंध निदेशक के डेस्क से संचार का प्रवाह शुरू हो गया। अगली सुबह टिप्पणी लेखक संजय जिंदल, दिल्ली में पटपड़गंज निवासी, अपने निवास पर अमूल अधिकारियों की एक पूरी टीम को देखकर चौंक गया।
“तेजी से घटित इस घटना पर वह अचंभित होकर लिखता है “
अमूल दूध की शिकायत, मैंने टिप्पणी पोर्टल पर पोस्ट की थी। मुझे इस पर किसी भी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी, लेकिन मैं आपको सूचित करते हुए बहुत ही खुश हूँ कि उन्होंने नोटिस लिया और इस मुद्दे को समझकर हल करने का प्रयास किया।
अमूल के प्रतिनिधि ने आज फिर मेरे यहाँ का दौरा किया और बुरे दूध की जगह अच्छा दूध बदलकर दिया। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि बुरा दूध बदलने से इनकार करने वाले वितरक पर उचित कार्यवाही की जाएगी।
मैंने भी उनसे पूछा कि अगर ग्राहक को जिसे कुछ दिनों के लिए खराब दूध मिलता है तो क्या वापसी में अच्छा दूध प्राप्त होगा, इस पर उन्होंने कहा कि हाँ, हम डीलर नेटवर्क के माध्यम से रिफंड की प्रक्रिया पर कार्य कर रहे हैं। फिर अमूल वास्तव में इस पर कुछ करता है या यह खाली आश्वासन है देखना होगा।
आपकी पहल के लिए एक बार फिर धन्यवाद। ऐसे उपभोक्ता जिन्हें लगता है कि वहाँ शिकायत करने से कुछ नहीं होगा, ऐसा करने से कोई मतलब नहीं है, वे इस घटना से बेहद प्रोत्साहित होंगे।
सादर,
संजय जिंदल [email protected]
सोढ़ी द्वारा तत्परत और बिना देरी किए कार्यवाही किया जाना ना केवल सहकारी समितियों के लिए बल्कि हमारे कॉर्पोरेट्स के लिए भी उपयोगी नहीं हो सकता है। इसी रवैया के कारण ही अमूल भारतीय कंपनी जगत से भिड़ने को तैयार रहता है और सहकारी दुनिया का एक अनमोल रत्न है। क्या अन्य एमडी भी उनकी तरह काम करने का साहस दिखा पाएँगे ?