नेफेड शेयर धारक यह निर्णय नही कर पा रहे है कि नेफेड के साथ वे अपने संबंधों को जारी रखे या नहीं। उनको लगता है कि नेफेड डूबती नाव है।
नेफेड ने इस बीच शेयर कीमत में 40,000 रुपये से 1 लाख तक की बढ़ोत्तरी करने का फैसला किया है। हालांकि वृद्धि की घोषणा कुछ साल पहले की गई थी, लेकिन अब बोर्ड कठोरता के साथ इस पर अमल करना चाह रहा है।
एजीएम में भाग लेने के लिए केवल वही डेलीगेट्स पात्र हैं जो कि दांव लगाने के लिए तैयार हैं, नेफेड अध्यक्ष बिजेन्दर सिंह ने भारतीय सहकारिता से बात करते हुए कहा। यह निर्णय बोर्ड द्वारा कुछ साल पहले ही ले लिया गया था और यह कोई नई बात नहीं है, श्री सिंह ने कहा।
शेयर धारकों को यह सवाल सता रहा है कि ऐसे सहकारी उद्यम में निवेश करना ठीक होगा जिसमें सुधार का कोई संकेत नहीं दिखता है। सरकार ने इस सहकारिता संगठन को सहायता देना बंद कर दिया जिसके कारण यहाँ अनिश्चितता का वातावरण कायम है।
भारतीय सहकारिता से बातचीत में नेफेड अध्यक्ष बिजेन्दर सिंह ने कहा कि सरकार अध्यक्ष की शक्तियों में कटौती चाहती थी, जिसे हमने स्वीकार किया।
यह पूछे जाने पर कि वर्तमान संकट से बाहर निकालने के लिए सरकार आगे बढ़कर मदद क्यों नहीं कर रही है तब बिजेन्दर सिंह ने कहा कि यह प्रश्न सरकार से पूछिए हमसें नही।
भारतीय सहकारिता को पता चला है कि सरकार देय वसूली के मुद्दे पर कानूनी समाधान का इंतज़ार कर रही है, केन्द्रीय रजिस्ट्रार कोर्ट में बकाएदारों पर 1400 करोड़ रुपये के टाई अप में घाटे के मद्देनजर आरोप लगे थे। नेफेड को उसके कुछ निर्देशकों के गलत हरकत के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
शेयर धारकों के मन में कई उलझनें हैं, नेफेड द्वारा दिया गया लाभांश 5 से 7 प्रतिशत है जो कि उन्हें कृषि कॉपरेटिव से जोड़े रखने के लिए पर्याप्त आकर्षण नही है, एक शेयर धारक ने भारतीय सहकारिता को बताया।
इस बीच नेफेड के कई विरोधियों ने अफवाह फैला रखी है कि नेफेड पुराने प्रतिनिधियों या नेफेड के शेयर धारकों के माध्यम से अपनी टाई अप घाटे को कवर करने की कोशिश कर रहा है।
बिजेन्दर सिंह ने इन अफवाहों को बचकाना कहकर खारिज कर दिया, नेफेड में नुकसान शेयर धारकों के माध्यम से कवर नहीं किया जा सकता है। सिर्फ सरकार नेफेड को वर्तमान परेशानी से बाहर निकाल सकती है, उन्होंने जोर देकर कहा।